अलवर। चंद रुपयों की खातिर अपनी ही नाबालिग बेटी का देह व्यापार के लिए सौदा करने वाली आरोपी मां को विशिष्ट न्यायालय पॉक्सो संख्या 2 ने दोषी करार करते हुए 10 साल के कठोर कारावास एवं 5 लाख 50 हजार रुपए के अर्थदंड की सजा सुनाई। न्यायाधीश ने फैसले सुनाते हुए टिप्पण की कि ऐसे प्रकरण में नरमी बरती गई तो समाज में गलत संदेश जाएगा।
विशिष्ट लोक अभियोजक पंकज यादव ने बताया कि प्रकरण 2016 का है, जिसमें सदर थाना पुलिस को सूचना मिली कि थाना क्षेत्र अंतर्गत गाजूकी में अलवर की एक महिला द्वारा नाबालिग को दूसरे राज्य से यहां लाकर देह व्यापार करवाया जा रह है। इस सूचना पर तत्कालीन थाना इंचार्ज कैलाश चौधरी पुलिस जाप्ते के साथ मौके पर पहुंचे और मामले में जानकारी जुटाई। उन्होंने बताया कि अनुसंधान के दौरान सूचना सही पाए जाने पर पुलिस ने नाबालिग को अलवर की महिला के घर से बरामद किया। मौके से महिला को भी गिरफ्तार किया।
विशिष्ट लोक अभियोजक पंकज यादव ने बताया कि अनुसंधान के दौरान नाबालिग बच्ची ने बताया कि उसकी उम्र 11 साल की थी, तब उसे कोलकाता से 6 माह पहले अलवर लेकर आए और अलवर में एक महिला नाबालिग से जबरन देह व्यापार करवाती थी। विशिष्ट लोक अभियोजक यादव ने बताया कि अनुसंधान के बाद 26 जुलाई 2019 को न्यायालय ने अलवर की महिला को 5 साल की सजा सुनाई। पुलिस को गहन अनुसंधान में ज्ञात हुआ कि नाबालिग बच्ची को उसकी मां ने अपने एक साथी की मदद से आरोपी अलवर की महिला को 10 हजार रुपए में बेचा था। इस पर पुलिस ने नाबालिग की मां की तलाश शुरू की। लंबे प्रयास के बाद अलवर पुलिस ने 14 अगस्त 2023 को पीड़िता की मां को पश्चिम बंगाल से गिरफ्तार किया और न्यायालय में उसका चालान पेश किया। उन्होंने बताया कि इस प्रकरण में 12 गवाह और 17 दस्तावेज पेश किए गए, जिनके आधार पर न्यायाधीश शिल्पा समीर ने नाबालिग की आरोपी मां को दोषी करार करते हुए 10 साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई और 5 लाख 50 हजार रुपए का आर्थिक दंड भी लगाया। हालांकि अभी तक आरोपी मां का साथी फरार है, जिसकी तलाश पुलिस द्वारा की जा रही है।