नई दिल्ली। लेटरल एंट्री पर केंद्र की मोदी सरकार को कदम पीछे खींचने पड़े हैं। मंगलवार को केन्द्र सरकार ने लेटरल एंट्री से संबंधित विज्ञापन को निरस्त करने का फैसला किया। लेटरल एंट्री विज्ञापन को वापस लेने को कांग्रेस विपक्ष की जीत बता रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और अन्य विपक्षी नेताओं के विरोध की वजह बताया है।
कांग्रेस पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने दावा किया कि कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह की ओर से इस संदर्भ में संघ लोक सेवा आयोग की प्रमुख प्रीति सूदन को जो पत्र लिखा गया है उस पर तिथि का उल्लेख नहीं है जो इस दयनीय शासन का प्रमाण है। सिंह ने यूपीएससी प्रमुख को पत्र लिखकर लेटरल एंट्री के जरिये भर्ती से जुड़े विज्ञापन को निरस्त करने को कहा है।
विपक्ष के नेताओं की आलोचना का असर
कांग्रेस नेता रमेश ने जितेंद्र सिंह द्वारा यूपीएससी प्रमुख को लिखे गए पत्र का हवाला देते हुए एक्स पर पोस्ट किया कि एक नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री के अधीन काम करने वाले एक केंद्रीय मंत्री का एक संवैधानिक प्राधिकारी को लिखा गया बिना तारीख का एक पत्र। यह कैसा दयनीय शासन है। उन्होंने कहा कि लेटरल एंट्री की वापसी लोकसभा और राज्यसभा दोनों में विपक्ष के नेताओं और अन्य लोगों की आलोचना का प्रभाव है।
मोदी सरकार को संविधान के आगे झुकना पड़ा
कांग्रेस ने एक्स पर अपने आधिकारिक हैंडल से पोस्ट किया कि संविधान की जीत हुई। मोदी सरकार लेटरल एंट्री में बिना आरक्षण के भर्ती की साजिश कर रही थी, लेकिन अब इस फैसले को वापस लेना पड़ा है। एक बार फिर मोदी सरकार को संविधान के आगे झुकना पड़ा है। पोस्ट में कहा कि आरक्षण विरोधी इस फैसले का कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और इंडिया गठबंधन ने खुलकर विरोध किया था। इसके कारण मोदी सरकार को यह फैसला वापस लेना पड़ा है। यह संविधान की जीत है।