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    वन मंत्री का आकस्मिक निरीक्षण: पर्यावरण संरक्षण की दिशा में उल्लेखनीय पहल

    जयपुर। राज्य के वन एवं पर्यावरण मंत्री संजय शर्मा ने आज दौसा जिले की बांदीकुई रेंज के अंतर्गत खुंड जाटोली क्षेत्र में चल रहे पौधारोपण कार्य का आकस्मिक निरीक्षण कर पर्यावरण संरक्षण को लेकर सरकार की प्रतिबद्धता को एक बार फिर स्पष्ट कर दिया। यह क्षेत्र राज्य सरकार की ‘हरित राजस्थान’ पहल के तहत तेजी से हरियाली की ओर बढ़ रहा है। निरीक्षण के दौरान वन मंत्री ने मौके पर मौजूद अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए और महिला श्रमिकों से संवाद कर उनके कार्य की प्रशंसा की।

    खुंड जाटोली में 55 हेक्टेयर भूमि पर जैविक विविधता के लिए हानिकारक माने जाने वाले जूली फ्लोरा (गांठिया बबूल) को हटाकर पौधारोपण किया जा रहा है। इस महत्वाकांक्षी अभियान के तहत अब तक 11,000 से अधिक पौधे लगाए जा चुके हैं, जिनमें छायादार, फलदार एवं पर्यावरण के लिए उपयोगी विभिन्न प्रजातियां शामिल हैं। यह कार्य न सिर्फ भूमि की उर्वरता को पुनः स्थापित करेगा, बल्कि क्षेत्र के पारिस्थितिक तंत्र को भी सुदृढ़ बनाएगा।

    वन मंत्री ने निरीक्षण के दौरान पौधारोपण कर रही महिला श्रमिकों से बातचीत की और उनकी मेहनत तथा समर्पण की खुलकर सराहना की। उन्होंने कहा कि महिला शक्ति की भागीदारी से ही यह अभियान सफल हो पा रहा है। “आप सभी धरती मां की सेवा में लगी हैं। यह कार्य केवल रोजगार नहीं है, बल्कि भावी पीढ़ियों के लिए प्रकृति की सौगात तैयार करने का कार्य है,” मंत्री ने कहा।

    उन्होंने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए कि लगाए गए पौधों की नियमित निगरानी की जाए और उनकी सुरक्षा के लिए आवश्यक प्रबंध सुनिश्चित किए जाएं। जल संरक्षण के दृष्टिकोण से वर्षा जल संचयन की व्यवस्था तथा ट्री गार्ड लगाने पर भी बल दिया गया।

    इस अवसर पर क्षेत्रीय वन अधिकारी, स्थानीय ग्राम पंचायत प्रतिनिधि, तथा सामाजिक संगठनों के सदस्य भी उपस्थित रहे। सभी ने मिलकर यह संदेश दिया कि पर्यावरण संरक्षण केवल सरकारी जिम्मेदारी नहीं, बल्कि जन-भागीदारी से ही संभव है।

    वन मंत्री की इस पहल को स्थानीय ग्रामीणों ने भी सराहा। उनका मानना है कि इस प्रकार के प्रयासों से न केवल क्षेत्र का पर्यावरण सुधरेगा, बल्कि वर्षा में वृद्धि, भू-जल स्तर में सुधार तथा रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।

    खुंड जाटोली में चल रहा यह पौधारोपण अभियान आने वाले समय में एक आदर्श मॉडल के रूप में उभरेगा, जहां पर्यावरणीय चेतना, जनसहभागिता और प्रशासनिक सक्रियता का सुंदर समन्वय दिखाई देता है।

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