35 सालों से किशनगढ़बास को आगे बढ़ाने की जगह पीछे धकेला गया

The power changed, but the situation did not
The power changed, but the situation did not

मुकेश सोनी । किशनगढ़बास (खैरथल तिजारा )। एक समय प्रशासनिक और न्यायिक पहचान के केंद्र रहे किशनगढ़बास को बीते 35 वर्षों में लगातार नजरअंदाज किया गया है। पहले उपखंड और न्यायिक कार्यों का केंद्र रहा यह कस्बा आज तिजारा, टपूकड़ा, कोटकासिम और मुंडावर जैसे नए उपखंडों के सामने अपने अस्तित्व के लिए जूझ रहा है।

करीब 50 किलोमीटर के दायरे में प्रशासनिक और न्यायिक सेवाएं देने वाले किशनगढ़बास को धीरे-धीरे विभाजित करते हुए इसके क्षेत्राधिकार को सीमित किया गया। बीते वर्षों में उपखंड कार्यालय व न्यायिक इकाइयाँ तिजारा, टपूकड़ा, कोटकासिम व मुंडावर में स्थापित कर दी गईं, जबकि किशनगढ़बास लगातार विकास की सूची में पिछड़ता चला गया।

‘कीचड़गढ़’ से नगर पालिका तक का सफर

2008 से पहले लोग किशनगढ़बास को ‘कीचड़गढ़’ के नाम से भी पुकारते थे। इस छवि को बदलने का श्रेय पूर्व विधायक रामहेत यादव को दिया जाता है, जिन्होंने भाजपा के टिकट पर चुनाव जीतने के बाद 2008 में क्षेत्र का विकास आरंभ किया। 2013 में दूसरी बार विधायक बनकर उन्होंने किशनगढ़बास को ग्राम पंचायत से नगर पालिका का दर्जा भी दिलाया।

राजनीतिक खींचतान में पिछड़ा किशनगढ़बास

2018 में कांग्रेस के दीपचंद खेरिया विधायक बने और बसपा-निर्दलीय समर्थन से बनी कांग्रेस सरकार में खेरिया की भूमिका मजबूत रही। इसी दौर में किशनगढ़बास क्षेत्र के खैरथल को जिला घोषित किया गया और बाद में बसपा विधायक संदीप यादव के दबाव में तिजारा को भी खैरथल जिले में जोड़ दिया गया। किशनगढ़बास इस प्रक्रिया में एक बार फिर उपेक्षा का शिकार बन गया।

2023 में सत्ता बदली, लेकिन हालात नहीं

2023 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर रामहेत यादव और दीपचंद खेरिया आमने-सामने हुए। क्षेत्र की जनता ने खेरिया को विधायक चुना, लेकिन सरकार भाजपा की बनी। इससे किशनगढ़बास के लोगों को उम्मीद थी कि अब जिले और न्यायालय से जुड़ी प्रमुख सुविधाएं क्षेत्र में स्थापित होंगी।

लेकिन हाल ही में खैरथल में जिला एवं सत्र न्यायालय (डीजे कोर्ट) खोले जाने की घोषणा ने क्षेत्रवासियों की उम्मीदों को फिर से झटका दिया है। किशनगढ़बास के लोगों का मानना है कि यह न्यायिक केंद्र उनके क्षेत्र में खोला जाना चाहिए था।

केंद्रीय मंत्री से मिलेंगे अधिवक्ता

पूर्व बार एसोसिएशन अध्यक्ष अमित गौड़ ने जानकारी दी कि किशनगढ़बास में न्याय शिखा (जिला न्यायालय) खोलने की मांग को लेकर अधिवक्ताओं का एक प्रतिनिधिमंडल जल्द ही केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव से मिलेगा। उनका कहना है कि किशनगढ़बास की ऐतिहासिक और भौगोलिक स्थिति को देखते हुए यहाँ न्यायिक सुविधाएं विकसित की जानी चाहिए।


निष्कर्ष:
किशनगढ़बास की कहानी सिर्फ एक कस्बे की उपेक्षा नहीं, बल्कि एक ऐसे क्षेत्र की है जो बार-बार राजनीति की भूल-भुलैया में खोता चला गया। अब जरूरत है कि जनप्रतिनिधि इस ऐतिहासिक क्षेत्र की जरूरतों को प्राथमिकता में रखें और इसे पुनः एक प्रशासनिक और न्यायिक केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में ठोस प्रयास करें।

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