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    60 गुना भारी गर्भाशय: कैसे एक महिला की जान बची बाल-बाल

    विदिशा : विदिशा मेडिकल कॉलेज ने फिर इतिहास रचते हुए चिकित्सा क्षेत्र में अलग पहचान बनाई. महिला के 3.7 किलो वजनी गर्भाशय की सफल सर्जरी कर डॉक्टर्स ने नई ज़िंदगी दी. ये गर्भाशय सामान्य से 60 गुना भारी था. हाई-रिस्क हिस्टेरेक्टॉमी ऑपरेशन कर डॉक्टर्स ने अपनी क्षमता को फिर साबित किया.

    डॉक्टर्स की समर्पित टीम से जटिल ऑपरेशन

    मेडॉकल कॉलेज प्रबंधन के अनुसार 38 वर्षीय महिला के गर्भाशय की टोटल एब्डोमिनल हिस्टेरेक्टॉमी (Total Abdominal Hysterectomy) सर्जरी की गई. इस जटिल ऑपरेशन को कुशलतापूर्वक अंजाम देने वाली विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम की सफलता से कॉलेज प्रबंधन खुश है. प्रबंधन का कहना है कि विदिशा जैसे ज़िले में भी जटिल से जटिल चिकित्सा प्रक्रिया संभव हैं, बशर्ते समर्पित टीम हो और नेतृत्व सक्षम हो.

    गंभीर बीमारी से जूझ रही थी महिला

    विदिशा मेडकल कॉलेज के डीन डॉ. मनीष निगम ने बताया "ये महिला पिछले काफी समय से तेज पेट दर्द, भारीपन, और बार-बार यूरिन आने जैसी समस्याओं से जूझ रही थी. जांच के बाद पता चला कि उसके गर्भाशय में कई बड़े फाइब्रॉइड्स (गांठें) विकसित हो चुके थे, जिससे गर्भाशय का आकार अत्यधिक बढ़ चुका था. ऐसे मामलों में जब दवाएं और अन्य इलाज विकल्प काम नहीं करते तो हिस्टेरेक्टॉमी ही एकमात्र और स्थायी समाधान है. महिला की स्थिति को ध्यान में रखते हुए टोटल एब्डोमिनल हिस्टेरेक्टॉमी का निर्णय लिया गया, जिसमें गर्भाशय को पूरी तरह शरीर से हटा दिया जाता है."

     

     

      टीम वर्क ने रचा सफलता का इतिहास

      इस जटिल सर्जरी को सफलतापूर्वक संपन्न कराने में स्त्री रोग विभाग और निश्चेतना विभाग की टीमों की प्रमुख भूमिका रही. स्त्री रोग विभाग से डॉ. आरती शर्मा (एसोसिएट प्रोफेसर), डॉ. प्राची कुशवाह, डॉ. सुरभि, डॉ. आरती डबास, डॉ चंद्रकांत (एसोसिएट प्रोफेसर), डॉ.आकाश वर्मा, डॉ. शाम्भवी ने टीम भावना के साथ कार्य करते हुए मरीज की सर्जरी को सुरक्षित और सफल बनाया. अस्पताल प्रबंधन का दावा है कि अब ऐसे जटिल मामलों को संभालने में भी उनकी टीम सक्षम है. महिला की स्थिति अब स्थिर है और वह तेजी से स्वस्थ हो रही है.

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