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    80 लाख की फिरौती…अपहरण के कुछ देर बाद कत्ल, 80 दिन बाद गड़ी मिली लाश; घर के पास दुकान चलाने वाले ने मारा

    आगरा के फतेहाबाद कस्बे की विजय नगर कॉलोनी से अपहरण किए आठ साल के छात्र की हत्या के मामले में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। वारदात को अंजाम छात्र के घर के पास रहने वाले युवकों ने दिया था। पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।

    आगरा के फतेहाबाद कस्बे की विजय नगर कॉलोनी से 80 दिन पहले लापता हुए अभय प्रताप (8) का शव शनिवार को राजस्थान के मनिया थाना क्षेत्र में मिला। शव को एक प्लास्टिक के बोरे में भरकर जमीन में दबा दिया गया था। पुलिस के अनुसार, सनसनीखेज वारदात को अंजाम कृष्णा उर्फ भजन लाल पुत्र भगवान सिंह निवासी फतेहाबाद और राहुल पुत्र लक्ष्मी नारायण निवासी विजय नगर कॉलोनी फतेहाबाद ने दिया है।

    आरोपी राहुल मृतक छात्र अभय के घर के सामने ही रहता है। वहीं कृष्णा का घर भी छात्र के घर से चंद कदमों की दूरी पर है। 80 लाख की फिरौती को लेकर वारदात को अंजाम दिया गया।
     

    लाश को प्लास्टिक के बोरे में बंदकर स्कूटी पर ही रखा
    पुलिस ने बताया कि 30 अप्रैल को क्षेत्र में शादी थी। ऐसे में आरोपी आठ साल के अभय प्रताप को बहला-फुसलाकर स्कूटी पर ले गए। रास्ते में बच्चा रोने लगा। मम्मी-पापा के पास जाने की जिद करने लगा। इस पर आरोपियों ने बच्चे की गला दबाकर बेरहमी से हत्या कर दी। लाश को प्लास्टिक के बोरे में बंदकर स्कूटी पर ही रख लिया।

    गड्ढा खोदकर मासूम की लाश को जमीन में दबाया
    आरोपी स्कूटी को राजस्थान क्षेत्र के मनियां की ओर ले गए। यहां सुनसान जगह पर गड्ढा खोदकर मासूम की लाश को जमीन में दबा दिया। घटना के बाद आरोपी अपने घर की ओर लौट आए। सामान्य व्यवहार करने लगे।
     

    कृष्णा का अभय के घर से चंद कदम दूरी पर ही जन सेवा केंद्र
    बच्चे को लेकर परिजन परेशान थे। पुलिस भी तलाश में जुटी थी। वहीं आरोपी क्षेत्र में घूमते रहे। कृष्णा का अभय के घर से चंद कदम दूरी पर ही जन सेवा केंद्र है। बच्चे की तलाश के दौरान अधिकतर पुलिस अधिकारी जनसेवा केंद्र के सामने आकर बैठते थे। 

    कृष्णा पुलिस कर्मियों से सामान्य बात करता था। वहीं दूसरा आरोपी राहुल वेल्डिंग का काम करता है। मृतक छात्र के घर के सामने रहने वाला राहुल रोज की तरह अपने काम पर जाता था। उसे देखकर कभी किसी को शक नहीं हुआ। 

    ऐसे पकड़े में आए आरोपी
    अपहरण के चंद घंटे बाद ही आरोपियों ने बच्चे को मौत के घाट उतार दिया था। लेकिन इसके बाद भी आरोपी फिरौती वसूलने के लिए परिवार को पत्र भेजते रहे। आरोपियों ने परिवार को करीब चार बार पत्र भेजे। इसमें 80 लाख तक की फिरौती मांगी गई। आरोपियों का फिरौती के लिए लिखा पत्र ही उनके गले की फांस बन गया। 
     

    परिजनों और क्षेत्रीय लोगों ने जब पत्र पढ़ा तो उसमें कई शब्द ऐसे थे, जो एक व्यक्ति की बोलचाल की भाषा से मेल खाते थे। वह व्यक्ति कृष्णा था। वह कई वर्षों तक बाहर रहा था। पिछले कुछ समय से क्षेत्र में जनसेवा केंद्र चला रहा था। ऐसे में वह लोगों से बात करने के दौरान जिस तरह के शब्द का इस्तेमाल करता था, वही पत्र में लिखे थे।

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