PNB के कर्मचारियों का विरोध प्रदर्शन: तानाशाही रवैये और कर्मचारी-विरोधी नीतियों पर जताई आपत्ति

They raised slogans and showed unity regarding their demands.
They raised slogans and showed unity regarding their demands.

अलवर । पंजाब नेशनल बैंक एम्प्लॉइज यूनियन, राजस्थान के आह्वान पर सोमवार को अलवर इकाई के सदस्यों ने बैंक के मंडल कार्यालय पर जोरदार प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन यूनियन के प्रांतीय महासचिव  रवि वर्मा के नेतृत्व में किया गया, जिसमें जिले की विभिन्न शाखाओं से आए सैकड़ों कर्मचारियों ने भाग लिया। कर्मचारियों ने बैंक प्रबंधन की नीतियों को कर्मचारी हितों के विरुद्ध बताते हुए जमकर नारेबाजी की और अपनी मांगों को लेकर एकजुटता दिखाई।

प्रदर्शन का प्रमुख उद्देश्य बैंक के उच्च प्रबंधन की तानाशाही प्रवृत्ति, हठधर्मी रवैये और लगातार कर्मचारी-विरोधी नीतियों के खिलाफ आवाज उठाना था। यूनियन का कहना है कि बैंक प्रबंधन द्वारा बार-बार द्विपक्षीय समझौतों की अवहेलना की जा रही है, जिससे कर्मचारियों में असंतोष बढ़ता जा रहा है। प्रदर्शन के दौरान यूनियन प्रतिनिधियों ने कर्मचारियों की समस्याओं और उनकी अनदेखी पर विस्तार से चर्चा की।

यूनियन महासचिव  वर्मा ने बताया कि बैंक की ओर से कर्मचारियों पर विभिन्न प्रकार के अनावश्यक दबाव बनाए जा रहे हैं। उदाहरण के तौर पर, सभी कर्मचारियों को ‘आगमन ऐप’ डाउनलोड करवाकर उसके प्रचार-प्रसार का दायित्व जबरन सौंपा जा रहा है, जो उनकी मूल बैंकिंग जिम्मेदारियों से अलग है। इसके अतिरिक्त, क्यूआर कोड आधारित ग्राहक फीडबैक लेने के लिए भी स्टाफ को बाध्य किया जा रहा है, जो उनके कार्यभार को और अधिक बढ़ा देता है।

वर्मा ने कहा कि बैंक प्रबंधन ग्राहक सेवा और विपणन (मार्केटिंग) जैसे क्षेत्रों में स्टाफ को प्रत्यक्ष रूप से झोंक रहा है, जबकि इन कार्यों के लिए अलग से प्रशिक्षित और नियुक्त कर्मचारियों की आवश्यकता होती है। यूनियन का आरोप है कि इन कदमों के जरिए प्रबंधन कर्मचारियों को परेशान करने की रणनीति पर काम कर रहा है।

 सचिव  डी.के. पारीक ने कहा कि यह प्रदर्शन केवल अलवर तक सीमित नहीं है, बल्कि राजस्थान सहित देशभर में इसी प्रकार के विरोध कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि बैंक की कार्यशैली में हाल के वर्षों में जो बदलाव आए हैं, वे पूरी तरह से एकतरफा और कर्मचारी हितों की अनदेखी करते हुए लागू किए जा रहे हैं। इससे कर्मचारियों में असंतोष और नाराजगी स्वाभाविक है।

उन्होंने यह भी कहा कि बैंक की पहचान एक मजबूत, भरोसेमंद और सेवा-प्रधान संस्थान के रूप में रही है, लेकिन मौजूदा कार्यशैली से इसका संतुलन बिगड़ रहा है। यूनियन ने मांग की है कि बैंक प्रबंधन तुरंत हस्तक्षेप कर अपनी नीतियों में संशोधन करे। द्विपक्षीय वार्ता की मर्यादा को बनाए रखा जाए और कर्मचारियों के हित में निर्णय लिए जाएं ताकि संस्थान में औद्योगिक शांति बनी रहे और बैंक की सेवाओं की गुणवत्ता पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।

प्रदर्शन के अंत में एक ज्ञापन भी मंडल प्रमुख को सौंपा गया, जिसमें विस्तार से यूनियन की मांगों को रखा गया। कर्मचारियों ने एकमत से चेताया कि यदि शीघ्र समाधान नहीं निकाला गया तो आंदोलन को और व्यापक स्तर पर ले जाया जाएगा। यह प्रदर्शन न केवल कर्मचारियों की एकजुटता को दर्शाता है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि यदि कर्मचारियों की आवाज को अनसुना किया गया, तो आने वाले समय में बैंकिंग सेक्टर में बड़े स्तर पर असंतोष खड़ा हो सकता है।

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