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    इंदौर: आपत्तिजनक कार्टून मामले में सुप्रीम कोर्ट सख्त, आरोपी मालवीय को राहत नहीं

    इंदौर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आरएसएस पर आपत्तिजनक कार्टून बनाने के मामले में इंदौर के कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय को सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली है। सोमवार को न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की दो सदस्यीय पीठ ने इस मामले की सुनवाई की, लेकिन अग्रिम जमानत पर तत्काल कोई राहत देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि हेमंत मालवीय के कार्टून में अब भी परिपक्वता की कमी है और यह भड़काऊ है।

    माफी के लिए दिया एक दिन का समय

    कोर्ट ने हेमंत मालवीय को मंगलवार तक का समय दिया है ताकि वे इस विवाद को लेकर माफी मांग सकें। इससे पहले मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने भी उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद वे सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति धूलिया ने टिप्पणी करते हुए कहा कि मालवीय की सोच में अभी भी परिपक्वता नहीं आई है।

    विवादित कार्टून को बताया 'अशोभनीय'

    सुप्रीम कोर्ट ने अपने टिप्पणी में कहा कि मालवीय द्वारा बनाए गए कार्टून में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आरएसएस को अशोभनीय ढंग से चित्रित किया गया है। कोर्ट ने इसे गैर-जिम्मेदाराना और समाज में उकसावा फैलाने वाला बताया।

    वकीलों की दलीलें और अगली सुनवाई मंगलवार को

    हेमंत मालवीय की ओर से वरिष्ठ वकील वृंदा ग्रोवर ने पक्ष रखते हुए कहा कि वह पोस्ट हटा दी गई है जिसमें कार्टून था, और यह किसी अपराध की श्रेणी में नहीं आता बल्कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता का मामला है। वहीं, भारत सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने तर्क दिया कि ऐसे कृत्य हर जगह हो रहे हैं, लेकिन यदि वे आपत्तिजनक हैं तो उन पर रोक जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई मंगलवार को तय की है।

    क्या था विवादित कार्टून में

    विवादित कार्टून में आरएसएस की यूनिफॉर्म पहने एक व्यक्ति को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्टून के सामने झुकते हुए दिखाया गया है। प्रधानमंत्री के कार्टून में शॉर्ट्स नीचे खिंचे हुए हैं और उनका निचला हिस्सा दिखाई दे रहा है। इसके अलावा पीएम मोदी को गले में स्टेथोस्कोप और हाथ में इंजेक्शन पकड़े हुए दर्शाया गया है। कोर्ट ने इस चित्रण को आपत्तिजनक और मर्यादा के खिलाफ बताया।

    हाईकोर्ट ने भी खारिज की अग्रिम जमानत याचिका

    8 जुलाई को पारित एक आदेश में इंदौर उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सुबोध अभ्यंकर ने हेमंत मालवीय की अग्रिम जमानत पर सुनवाई करते हुए कहा कि मालवीय ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग किया है। उन्हें संबंधित व्यंग्य चित्र बनाते समय अपने विवेक का इस्तेमाल करना चाहिए था। उच्च न्यायालय ने मालवीय को हिरासत में लेकर पूछताछ करने का आदेश देते हुए कहा कि उन्होंने स्पष्ट रूप से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सीमा लांघी है और ऐसा प्रतीत होता है कि उन्हें अपनी सीमाओं का ज्ञान नहीं है।

    यह केस हुआ मालवीय पर

    हेमंत मालवीय के तीन महीने पहले मई में बनाए कार्टून पर विवाद हो गया था। इसे लेकर एडवोकेट विनय जोशी ने मालवीय पर भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 196 (विभिन्न समूहों के बीच वैमनस्य बढ़ाना), 299 (धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करना), 302 (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से कार्य करना), 352 (शांति भंग करने के इरादे से अपमान करना) और 353 (शरारत) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67ए के तहत आरोप लगाए हैं।

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