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    धर्मांतरण विवाद: छत्तीसगढ़ में नन की गिरफ्तारी से CBCI चिंतित, अल्पसंख्यकों के प्रति ‘द्वेषपूर्ण माहौल’ पर गहरा दुख

    छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में मानव तस्करी और जबरन धर्मांतरण कराने की कोशिश के आरोप में 2 कैथोलिक नन समेत 3 लोगों की गिरफ्तारी के बाद विवाद बढ़ गया है. कई राजनीतिक दलों ने उनकी रिहाई की मांग की है, इस बीच कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया (CBCI) ने केरल की 2 नन की गिरफ्तारी की आलोचना की है और अल्पसंख्यक समुदायों के प्रति फैली शत्रुता और हिंसा के माहौल पर गहरी पीड़ा और चिंता जाहिर की.

    आर्चबिशप अनिल जोसेफ थॉमस कॉउटो ने दिल्ली में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में चेतावनी दी कि संवैधानिक राज्य का विघटन और लोकतंत्र की स्वतंत्र संस्थाओं का सांप्रदायीकरण इतना गंभीर है कि अब इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. आर्चबिशप ने सीबीसीआई की ओर से जारी बयान को पढ़ते हुए कहा, “कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया देश में अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ बढ़ते द्वेष और हिंसा के माहौल पर अपनी गहरी पीड़ा और चिंता व्यक्त करता है.” मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन दोनों नन को मानव तस्करी और जबरन धर्मांतरण की शिकायत के बाद गिरफ्तार किया गया है.

    अल्पसंख्यक लोग असुरक्षित महसूस कर रहे

    उन्होंने कहा, “देश में सांप्रदायिक तत्वों के बढ़ते हमलों और कानून लागू करने तथा संवैधानिक मूल्यों को बनाए रखने की जिम्मेदारी संभालने वालों की चिंताजनक उदासीनता के बीच, अल्पसंख्यक समुदाय के लोग भय और पीड़ा से ग्रस्त होकर खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. इन गंभीर घटनाक्रमों के मद्देनजर, सीबीसीआई देश से यह आह्वान कर रहा है.”

    आर्चबिशप ने महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के विधायक गोपीचंद पडलकर के उस बयान का भी जिक्र किया जिसमें उनकी ओर से कथित तौर पर कहा गया था कि गांवों में धर्मांतरण कराने के लिए आने वाले की जो भी पिटाई करेगा, उसे वह नकद पुरस्कार देंगे. विधायक ने कहा था, “जो कोई भी पहले उसे पीटेगा उसको 5 लाख रुपये का इनाम मिलेगा, दूसरे को पीटेगा उसे चार लाख रुपये और तीसरे को तीन लाख रुपये मिलेंगे.’ 11 लाख रुपये तक देने की बात कही गई थी.”

    CBCI ने कहा कि ऐसा बयान तत्काल और निर्णायक कानूनी हस्तक्षेप की मांग करता है, यह बहुत ही भड़काऊ है. वीडियो फुटेज और मीडिया आउटलेट्स के जरिए इसे हर जगह प्रसारित किया गया. यह धार्मिक रूप से प्रेरित हिंसा को उकसाने का उदाहरण है, जो भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), 2023 की धारा 152 के तहत एक गंभीर अपराध है. कानून ऐसे अपराधों के लिए आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान करता है.

    अब तक FIR भी दर्ज नहीं कराई गई

    आर्चबिशप अनिल जोसेफ थॉमस कॉउटो ने भी कहा कि विधायक के खिलाफ एफआईआर तक दर्ज नहीं कराई गई, जबकि इसके उलट सोशल मीडिया पोस्ट या शांतिपूर्ण असहमति जैसी कम गंभीर अभिव्यक्तियों को लेकर छात्रों, कार्यकर्ताओं और विपक्षी नेताओं के खिलाफ अक्सर त्वरित कानूनी कार्रवाई देखी जाती है. उन्होंने छत्तीसगढ़ में नन की गिरफ्तारी की घटना को परेशान करने वाला बताते हुए कहा कि उन लोगों को कथित तौर पर सांप्रदायिक तत्वों के इशारे पर गिरफ्तार किया गया.

    यह पूछे जाने पर क्या सीबीसीआई बजरंग दल पर बैन लगाने की मांग करेगा तो उन्होंने कहा, “जो भी संगठन इन राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों में शामिल होता है, हम उसे नहीं छोड़ते. लेकिन हम चुपचाप बैठकर यह नहीं कहते कि उन्हें इसकी इजाजत दी जाए. यदि जरूरी हो तो हम यह मांग कर सकते हैं कि उन पर बैन लगाया जाए. हम यह कहने से डरते नहीं हैं.”

    सीबीसीआई ने कहा कि 25 जुलाई को दुर्ग रेलवे स्टेशन पर 2 कैथोलिक महिलाओं की गिरफ्तारी से जुड़ी एक और परेशान करने वाली घटना घटी, कथित तौर पर सांप्रदायिक तत्वों के इशारे पर यह किया गया. इन्हें अपने साथ यात्रा कर रही 3 लड़कियों के साथ जाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. जबकि इन लड़कियों की उम्र 18 साल से अधिक की थी और उन्होंने अपने माता-पिता की सहमति भी मिली थी. इन पर कथित तौर पर शारीरिक हमला भी किया गया. घटना की जानकारी मिलने पर जब युवतियों के माता-पिता पुलिस स्टेशन पहुंचे, तो पुलिस ने उन्हें अवैध रूप से अपनी बेटियों से मिलने से रोक दिया.

    सीबीसीआई ने कहा कि हम भारत सरकार और सभी राजनीतिक दलों से अपील करते हैं कि वे आगे आए और देश तथा उनके लोगों को बचाने के लिए उचित संवैधानिक कदम उठाएं.

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