सतना: मध्य प्रदेश के सरकारी स्कूलों में शिक्षा की हालत खस्ता है। सतना जिले के उचेहरा ब्लॉक के दुधा प्राइमरी स्कूल में पांच कक्षाओं के 95 बच्चे एक ही हॉल में पढ़ रहे हैं। एक ही कमरे में पांच अलग-अलग विषयों की पढ़ाई एक साथ हो रही है। कक्षाओं के अभाव में बच्चे शोरगुल में शिक्षा पाने को मजबूर हैं। सरकार का कहना है कि वह स्थिति को सुधारने का प्रयास कर रही है।
एक ही जगह पर लग रहीं 5 क्लास
दुधा प्राइमरी स्कूल में एक शिक्षक बच्चों को अंग्रेजी वर्णमाला सिखा रहे हैं – 'A फॉर एप्पल, B फॉर बॉल, C फॉर कैट', दूसरे शिक्षक हिंदी वर्णमाला पढ़ा रहे हैं। एक ब्लैकबोर्ड पर '2+2 = 4' लिखा है। शिक्षक बताते हैं कि कक्षाओं की कमी के कारण ऐसा करना पड़ रहा है। दूसरी तरफ बारिश से बच्चों को बचाना भी एक चुनौती है।
इतनी आवाज में पढ़ाई करना मुश्किल
एक छात्र कहता है, 'पढ़ाई करना बहुत मुश्किल है। हर तरफ से आवाजें आती हैं। कभी समझ आता है, कभी नहीं। बहुत शोर होता है।' बड़ी बात यह है कि दुधा जैसे 70 से ज्यादा स्कूल सतना में इसी तरह की स्थिति से जूझ रहे हैं। स्कूलों की इमारतें टूटी हुई हैं। कई बार पेड़ के नीचे कक्षाएं लगती हैं।
कई पत्र लिखे, कोई कार्रवाई नहीं
स्कूल के हेडमास्टर कहते हैं कि दो साल पहले बिल्डिंग तोड़ दी गई थी। कई पत्र लिखे गए, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। जिला शिक्षा केंद्र, सतना के सहायक अभियंता सुनील सर्राफ ने कहा कि प्रस्ताव भेजे गए हैं। मंजूरी मिलने के बाद ही काम शुरू होगा।
आंकड़े क्या कह रहे
मध्य प्रदेश में 2010-11 में कक्षा 1 से 8 तक में एक करोड़ से ज्यादा बच्चे नामांकित थे। अब यह संख्या घटकर 54.58 लाख हो गई है। इस साल सैकड़ों स्कूलों में जीरो एडमिशन हुए हैं। 7,217 स्कूल एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं। 5,600 से ज्यादा स्कूलों में या तो इमारतें नहीं हैं या वे जर्जर इमारतों में चल रहे हैं।
सरकार बना रही योजना
एमपी के स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह ने कहा कि सरकार रखरखाव और नए क्लासरूम के लिए योजना बना रही है। उन्होंने कहा कि वित्त विभाग को प्रस्ताव भेजे गए हैं और धन आवंटित किया गया है। उन्होंने कमियों को स्वीकार किया, लेकिन कहा कि सरकार सर्वोत्तम संभव संसाधन प्रदान करने का प्रयास कर रही है।