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    फर्जी प्रोजेक्ट और मेडिकल उपकरण खरीदी में नियमों की धज्जियां, ED की कार्रवाई

    रायपुर: प्रर्वतन निदेशालय (ED) की टीम ने कृषि कारोबारियों के 18 ठिकानों पर छापेमारी की। तलाशी में लेनदेन से जुड़े दस्तावेज, डीएमएफ घोटाले से संबंधित इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और टेंडर के पेपर जब्त किए गए। सभी संदिग्धों को ईडी दफ्तर में पूछताछ के लिए नोटिस भी जारी किया गया है।

    तलाशी में हुआ बड़ा खुलासा

    तलाशी में यह पता चला कि कृषि उपकरण और अन्य सामानों के टेंडर के एवज में 42 फीसदी तक कमीशन कृषि विभाग के अधिकारियों को दिया जाता था। इस खेल में जेल भेजे गए मनोज कुमार द्विवेदी की भूमिका सूत्रधार की रही। उन्होंने अपने एनजीओ, उद्गम सेवा समिति, के माध्यम से डीएमएफ के कई ठेके हासिल किए।

    सूत्रों के मुताबिक, कमीशन सीधे डायरेक्टर, अफसरों और रसूखदार लोगों तक पहुंचाया जाता था। यह घोटाला सिंडीकेट बनाकर 575 करोड़ रुपए तक पहुंचा।

    छापेमारी किए गए ठिकानों की सूची

    ईडी ने रायपुर और भिलाई में कई ठिकानों पर छापेमारी की। इसमें शामिल हैं: शंकर नगर चौपाटी के पास विनय गर्ग का घर, ला विस्टा अमलीडीह के पवन पोद्दार का ठिकाना, शांति नगर भिलाई के विवेकानंद कॉलोनी निवासी सीए आदित्य किशन दिनोदिया का ठिकाना ,  भिलाई-3 वसुंधरा नगर के शिवकुमार मोदी का घर और ऑफिस , राजिम के उगमराज कोठारी का घर और फर्म।

    डीएमएफ के खेल में करोड़ों का कमीशन

    जिला खनिज निधि (डीएमएफ) से खरीदे गए उपकरण बाजार मूल्य से कई गुना अधिक कीमत पर लिए गए। निलंबित आईएएस रानू साहू (जमानत पर) के कार्यकाल के दौरान कृषि विभाग के टेंडर नियमों में बदलाव किए गए।

    फर्जी प्रोजेक्ट बनाने, मटेरियल सप्लाई, ट्रेनिंग और मेडिकल उपकरण की खरीदी में नियमों को दरकिनार कर, कमीशन वाले टेंडर पास कराए गए।

    ईडी की जांच जारी

    ईडी ने सभी दस्तावेज और उपकरण जब्त कर लिए हैं। जांच के दौरान सील किए गए सभी ठिकानों से मिले सबूतों की पड़ताल की जा रही है। अधिकारी जांच के सभी पहलुओं को उजागर करने के लिए सक्रिय हैं।

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