राबड़का स्थित बाबा बलदेव महाराज मंदिर में 17 सितंबर को होगा पूर्व सांसद महंत चांदनाथ का अष्टम स्मृति दिवस, भंडारा व विशाल रक्तदान शिविर का आयोजन
मिशन सच न्यूज़ तिजारा। अलवर लोकसभा के पूर्व सांसद एवं ब्रह्मलीन महंत चांदनाथ योगी का अष्टम स्मृति दिवस इस वर्ष 17 सितंबर को तिजारा उपखंड के ग्राम राबड़का स्थित बाबा बलदेव महाराज मंदिर में मनाया जाएगा। इस अवसर पर देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 75वें जन्मदिन के उपलक्ष्य में हवन, भंडारा और विशाल स्वैच्छिक रक्तदान शिविर का आयोजन किया जाएगा।
विधायक महंत बालकनाथ ने दी जानकारी
तिजारा विधायक एवं बाबा मस्तनाथ मठ, अस्थल बोहर पीठाधीश्वर महंत बालकनाथ योगी ने जानकारी देते हुए बताया कि ब्रह्मलीन महंत चांदनाथ , जो अलवर से सांसद भी रहे, उनकी स्मृति को चिरस्थायी बनाए रखने के लिए हर वर्ष स्मृति दिवस का आयोजन किया जाता है। इस वर्ष यह आयोजन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन के अवसर के साथ संयोजित किया गया है, जिससे समाज में सेवा और राष्ट्रभक्ति की भावना और अधिक सशक्त हो।
सुबह से शुरू होंगे कार्यक्रम
महंत बालकनाथ जी ने बताया कि 17 सितंबर की सुबह विशेष हवन का आयोजन होगा। इसके पश्चात श्रद्धालुओं के लिए विशाल भंडारा रखा जाएगा। साथ ही सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक स्वैच्छिक रक्तदान शिविर का आयोजन होगा। रक्तदान को उन्होंने “महादान” बताते हुए कहा कि इससे न केवल जरूरतमंदों की जिंदगी बचाई जा सकती है बल्कि यह पुण्य का भी कार्य है।
श्रद्धालुओं और कार्यकर्ताओं से अपील
महंत बालकनाथ ने तिजारा विधानसभा क्षेत्र सहित आसपास के जिलों के श्रद्धालुओं, भाजपा पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से अधिक से अधिक संख्या में पहुंचकर कार्यक्रम को सफल बनाने की अपील की। उन्होंने कहा कि गुरु परंपरा और सेवा परंपरा का यह आयोजन समाज को जोड़ने और युवाओं में सेवा भाव जगाने का माध्यम बनेगा।
रक्तदाताओं को मिलेगा सम्मान
उन्होंने बताया कि रक्तदान शिविर में भाग लेने वाले सभी स्वयंसेवकों और सहयोगी संगठनों को बाबा मस्तनाथ मठ, अस्थल बोहर की ओर से स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया जाएगा। यह सम्मान उनकी सेवा भावना और समाजहित के प्रयासों की सराहना का प्रतीक होगा।
महंत चांदनाथ जी का योगदान
ब्रह्मलीन महंत चांदनाथ योगी का जीवन राष्ट्र और समाज की सेवा को समर्पित रहा। वे न केवल आध्यात्मिक और सामाजिक क्षेत्र में अग्रणी रहे बल्कि लोकसभा सांसद रहते हुए अलवर क्षेत्र के विकास के लिए भी उन्होंने अनेक कार्य किए। उनकी शिक्षाएं और सेवा परंपरा आज भी उनके अनुयायियों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।