सिलीसेढ़ बांध के बहाव क्षेत्र में बने निर्माण कार्यों का सर्वे करने पहुंची तीन विभागों की संयुक्त टीम, 2 दिन में जिला प्रशासन को सौंपनी हैं रिपोर्ट

अलवर. ( प्रेम पाठक ) अलवर शहर के समीप सिलीसेढ़ से जयसमंद बांध में आने वाले पानी के बहाव क्षेत्र में पड़ने वाले पक्के निर्माण और अतिक्रमण को हटाया जाएगा।  सिलीसेढ़ से जयसमंद बांध में पानी के बहाव क्षेत्र में किए गए पक्के निर्माण और अतिक्रमण को हटाने के लिए तीन विभागों की संयुक्त टीम ने बुधवार को सर्वे शुरू किया। इस सर्वे का उद्देश्य बहाव क्षेत्र में बने होटल और रिजॉर्ट जैसी संरचनाओं को चिन्हित करना है जिनकी वजह से जयसमंद बांध कई सालों से खाली रह रहा है। इस संबंध में बुधवार को नगर विकास न्यास, राजस्व विभाग और जल संसाधन विभाग की संयुक्त टीमों ने सर्वे शुरू किया। यह सर्वे करीब दो दिन चलेगा। उसके बाद रिपोर्ट तैयार कर जिला प्रशासन को सौंपी जाएगी। यह सर्वे 1955 की जमाबंदी के आधार पर किया जा रहा है। सिलीसेढ़ से जयसमंद तक बहाव क्षेत्र में दोनों तरफ पहाड़ हैं। कई होटल वालों ने तो बहाव क्षेत्र को पूरी तरह तरह से बंद कर दिया है। सड़क से पहाड़ तक निर्माण कार्य कर लिया।  सिलीसेढ़ से जयसमंद के बहाव क्षेत्र में  होटल रिजॉर्ट और अन्य निर्माण की चार दीवारियां आ रही हैं। जयसमंद बांध कई सालों से भर नहीं पा रहा था और यह मामला कई बार उच्च स्तर पर भी उछला था। सिंचाई विभाग द्वारा इस संबंध में नोटिस भी जारी किए गए लेकिन उसे पर कोई कार्रवाई नहीं हुई थी। जिनके होटल और रिसॉर्ट बने हुए हैं वह काफी पहुंच वाले बताए जाते हैं।

प्रारंभिक तौर पर करीब 16 अतिक्रमण 

इस बार मानसून के प्रारंभ में ही इस पर गौर किया गया और राज्य सरकार के निर्देश पर इसको जिला कलेक्टर ने गंभीरता से लिया और सिंचाई विभाग, राजस्व विभाग और नगर विकास न्यास की टीम का संयुक्त टीम गठित कर सिलीशेड भेजी गई जहां से सिलिसेड की पाल से ऊपरा चलती है । वहां से सर्वे किया गया। उस इलाके से जयसमंद बांध तक जो भी बहाव क्षेत्र है उसमें निर्माण कार्य और अन्य अतिक्रमण को चिन्हित किया जा रहा है । इस बहाव क्षेत्र में करीब सोलह अतिक्रमण शामिल हैं। आज जिनका भौतिक सत्यापन किया गया। इनमें कई होटल भी शामिल है।
जल संसाधन विभाग उपखंड के सहायक अभियंता सुभाष शर्मा ने बताया कि सिलीसेड के बहाव क्षेत्र में जो भी अतिक्रमण है इसकी दो दिन में रिपोर्ट तैयार  उपखंड अधिकारी को सौंपी जाएगी उसके बाद इस पर कार्यवाही की जाएगी । उन्होंने बताया कि प्रारंभिक तौर पर करीब 16 अतिक्रमण इसमें शामिल किए गए हैं और राजस्व विभाग के 1955 के रिकॉर्ड के आधार पर रिपोर्ट तैयार होगी। इधर सिंचाई विभाग के ही जेईएन शशि प्रकाश मीणा ने बताया कि राजस्व, यूआईटी और सिंचाई विभाग की संयुक्त टीम सिलिसेड बांध के ओवरफ्लो पानी के बहाव क्षेत्र को देख रही है यह पानी जयसमंद में जाता है बहाव क्षेत्र में जो भी बाधक निर्माण कार्य बनाया गया है उसे हटाया जाएगा जिसका आज भौतिक सत्यापन शुरू किया गया है 2 दिन में रिपोर्ट सौंपी जाएगी। इसमें सबसे बड़ी बात है कि अगर 1955 के रिकॉर्ड के हिसाब से बहाव क्षेत्र में कोई खातेदार बना है तो उसे खातेदारी को भी बेदखल किया जाएगा। इधर नगर विकास न्यास के अतिक्रमण निरोधक अधिकारी अनिल शर्मा ने बताया कि संयुक्त सर्वे है और जिला कलेक्टर के आदेश पर यह सर्वे किया जा रहा है । सीलिसेढ बांध के बहाव क्षेत्र में जो भी निर्माण कार्य या अन्य तरीके का अतिक्रमण है उसको चिन्हित किया जा रहा है। चिन्हित करने के बाद निर्माण हटाने कार्रवाई की जाएगी।
यहां उल्लेखनीय है कि अलवर जिले के प्रमुख जयसमंद बांध कई सालों से पानी के लिए तरस रहा था जिससे अलवर शहर में पानी की समस्या लगातार बढ़ती जा रही थी ।जयसमंद बांध में पानी लाने के लिए कई बार प्रयास किए गए क्योंकि जयसमंद बांध में दो स्थानों से पानी आता है एक तो रूपारेल नदी जिसको बारा बियर बोलते हैं। बारा बियर पर बने गैराज से दो रास्ते निकलते हैं एक रियासत कालीन बंटवारे के हिसाब से आधा पानी बारा बियर से भरतपुर चला जाता है ।और आधा पानी जय समंद बांध में जाता है लेकिन यहां पर भी अतिक्रमण और खातेदारों द्वारा बनाए गए पक्के निर्माण के कारण जयसमंद में पानी नहीं आ रहा है। इसी तरह सिलीसेढ से भी पानी जयसमंद में जाता है। जब सिलीशेड बांध में ऊपरा चलती है तो उसकाअतिरिक्त पानी जयसमंद बांध में बहकर जाता है और बहाव क्षेत्र में निर्माण होटल बना दिए गए हैं और जैसे सिलीसेढ़ का बहाव क्षेत्र पूरी तरीके से अवरुद्ध कर दिया गया है।
बहाव क्षेत्र में जो होटल और रिजॉर्ट बने हुए हैं वह काफी पहुंच वाले बताए जाते हैं और सवाल यह है कि सरकार जयसमंद बांध को जीवित रखने के लिए कितना सख्त फैसला लेती है। अगर यह अतिक्रमण नहीं हटाया गया तो निश्चित रूप से जयसमंद बांध पूरी तरह खत्म हो जाएगा।

 

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