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    पहले मां ने छोड़ा फिर कुपोषण से लड़ी जंग, 6 इंडियन पैरेंट्स ने नकारा, क्या इटली में खुलेगा भाग्य ?

    शहडोल: कभी-कभी रियल जिंदगी में भी कुछ ऐसा हो जाता है, जो बिल्कुल फिल्मी सा लगता है. कुछ ऐसी ही कहानी है, शहडोल के इस मासूम बच्ची की. जिसे पैदा होने के महज कुछ साल में ही संकट के समय मां ने छोड़ा, अपनाने कोई नहीं आया, फिर कुपोषण से जंग लड़ी. कुपोषण से जीतने के बाद भी राह में कुपोषण का दंश आड़े आ रहा था, लेकिन अब फिर एक उम्मीद की किरण जगी है, क्या इस मासूम बच्ची की इटली में भाग्य खुलेगा.

    फिल्मी है मासूम बच्ची की कहानी

    यहां एक मासूम बच्ची की कुछ ऐसी ही कहानी है. शहडोल के महिला बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी अखिलेश मिश्रा उस मासूम बच्ची को याद करते हुए कहते हैं कि "बच्ची ने बचपन में ही बहुत बड़ा संघर्ष किया है. वो बताते हैं कि बच्ची सितंबर 2022 में ब्यौहारी में एक जगह पर मिली थी. महिला को उस बच्ची की मां उसे सौंपकर कहीं गायब हो गई थी.

    अतिकुपोषित थी बच्ची

    अखिलेश मिश्रा आगे बताते हैं कि वो बच्ची बहुत ही कुपोषित हालत में मिली थी, जब वो मिली थी तो उसकी उम्र उस समय लगभग ढाई साल ही थी. उसका वजन भी उम्र के हिसाब से बहुत ही कम था. लगभग चार किलो के आसपास थी. जो कुपोषण के गंभीर श्रेणी में आता है. बच्ची कुछ इस तरह से कुपोषित थी कि बैठ भी नहीं पा रही थी.

    कुपोषण से कैसे जीती जंग ?

    बच्ची को बाल कल्याण समिति के माध्यम से आदेश कराकर स्पेशल एडॉप्शन एजेंसी शिवालय शिशु गृह सतगुरु मिशन शहडोल में रखा गया. लाने के तुरंत बाद ही हमने संस्था के माध्यम से उस मासूम को हॉस्पिटलाइज कराया और जहां उसका लंबा इलाज चला. एनआरसी सेंटर में बच्ची करीब 23 से 24 दिन तक रही, क्योंकि बच्ची कुपोषण के गंभीर श्रेणी में थी. इस दौरान बच्ची काफी हद तक रिकवर कर चुकी थी. फिर कुपोषण से जंग जीतने के बाद बच्ची वर्तमान में अभी संस्था में ही निवासरत है.

    कई इंडयिन पेरेंट्स ने नकारा

    बच्ची को जब बाल कल्याण के माध्यम से संस्था में प्रवेश दिलाया गया, तो हमारी कई कैटेगरीज होती हैं, उसमें एक होता है देखरेख सरंक्षण वाली कटेगरी. उस श्रेणी में ही बच्ची को रखा गया. जब किसी गार्जियन ने संपर्क नहीं किया तो बाल कल्याणसमिति के माध्यम से उस बच्ची को अक्टूबर 2024 में लीगल फ्री किया गया कि अब बच्ची एडॉप्शन के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र है.

    उसके बाद फिर एडॉप्शन के लिए जो हमारा डेजिगनेटेड पोर्टल है, उसके माध्यम से बहुत सारे जो इंडियन पेरेंट्स हैं, जो बच्चों को गोद लेना चाहते हैं, उन्हें रेफरल के रुप में बच्ची दिखाई गई, लेकिन अनफॉर्चुनेटली जो इंडियन पेरेंट्स हैं, उनमें से करीब पांच से 6 लोगों ने उस बच्ची को रिजर्व किया. लेकिन किसी ने भी उस बच्ची को गोद लेने की प्रक्रिया अंत तक नहीं की, कह सकते हैं कि एडॉप्शन में नहीं जा पाई.

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