भारत के वीर जवानों के सामर्थ्य की याद दिलाता कारगिल विजय दिवस

    नई दिल्ली. करगिल विजय दिवस 1999 के युद्ध में पाकिस्तान पर भारत की जीत को चिह्नित करने के लिए हर साल 26 जुलाई को मनाया जाता है। भारतीय जाबाज वीर सपूतों के पराक्रम की जब चर्चा होती है तो साल 1999 कैसे भुलाया जा सकता है। पाकिस्तानी सेना ने भारत पर हमला करने के मंसूबों से अनेक षड्यंत्र रचे लेकिन भारतीय सैनिकों ने उन्हें घुटनों पर लाकर खड़ा कर दिया।

    कारगिल विजय दिवस की 25वीं वर्षगांठ

    इस बार भी भारत देश कारगिल विजय दिवस की 25वीं वर्षगांठ मना रहा है। 26 जुलाई भारतीय सैनिकों का दिन है, क्योंकि यह कारगिल युद्ध के दौरान बलिदानियों की वीरता को बयां करता है। कारगिल विजय दिवस 1999 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में बलिदान हुए सैनिकों की याद में मनाया जाता है।  1999 में मई और जुलाई के महीनों के बीच लड़ा गया यह युद्ध भारत के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इसने भारतीय सशस्त्र बलों के अटूट दृढ़ संकल्प और अदम्य भावना को प्रदर्शित किया। भारतीय सैनिकों के पराक्रम का दुनिया ने लोहा माना।
    कारगिल युद्ध वह लड़ाई थी, जिसमें पाकिस्तानी सेना ने द्रास कारगिल पहाड़ियों पर कब्जा करने की कोशिश की थी। कारगिल युद्ध पाकिस्तान के गलत इरादों का सबूत है। पाकिस्तान के तत्कालीन सेना प्रमुख परवेज़ मुशर्रफ ने भारत की सीमाओं में आने की कोशिश की थी।लेकिन, भारत ने बहादुरी से लड़ाई लड़ी और पाकिस्तान को पराजित कर एकबार फिर अपनी ताकत का एहसास दुनिया को करा दिया। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने दुनिया को भारत की ताकत का एहसास तो करवाया ही अपितु पाकिस्तान के हमदर्दों को दो टूक लहजे से करारा जबाव दिया। अमेरिका पाक के पक्ष में अपनी प्रतिक्रिया दे रहा था, तो अटल बिहारी वाजपेई ने उनको अहसास दिलाया कि भारत बौद्ध नीति को मानने के साथ युद्ध नीति भी अच्छे से जानता है।

    ‘ऑपरेशन विजय’ कारगिल की चोटी पर तिरंगा फहराया

    भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध के दौरान भारत के 30,000 सैनिकों ने ऑपरेशन विजय के तहत पाकिस्तान के 18,000 सैनिकों को मुंह तोड़ जबाव दिया। उस युद्ध में भारत के 500 से अधिक सैनिकों ने बलिदान दिया था। और करीब 27,00 सैनिक घायल हुए थे। ऑपरेशन विजय भारतीय जाबाज सैनिकों ने कठिन संघर्ष और अदम्य साहस से सफल बनाया। पाकिस्तानी सैनिकों को रौंदते हुए कारगिल की चोटी पर तिरंगा फहराया। कारगिल दिवस में सैना की वीरता की गाथा से भारतीय नागरिक गौरव दिवस के रूप में मनाते हैं। सेना का वो पराक्रम इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया। अपने प्राणों की आहुति देने वाले उन विशेष सैनिकों की याद में 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस के रूप में हम भारतवासी हर साल बड़े सम्मान और गर्व के साथ मनाते है। इस ऑपरेशन के नाम के अनुसार 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस घोषित किया गया ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी उन देशभक्तों की वीरतापूर्ण कहानियों के बारे में जानें और उन वीरों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित कर सकें।

    पीएम मोदी ने पाक को दिया कड़ा संदेश

    प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ( ने कारगिल विजय दिवस लद्दाख (कारगिल समर स्मारक) में शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। भारतीय पराक्रमी वीर सपूतों को याद कर पाकिस्तान को कड़ा संदेश दिया। उन्होंने कहा कि कारगिल विजय दिवस हमें सिखाता है कि राष्ट्र के लिए दिए गए बलिदान अमर होते हैं। पीएम ने कहा कि “आज लद्दाख की ये महान धरती कारगिल विजय के 25 वर्ष पूरे होने की साक्षी बन रही है। दिन, महीने, वर्ष, सदियां गुजरती हैं, मौसम भी बदलते हैं लेकिन राष्ट्र की रक्षा के लिए अपनी जान की बाजी लगाने वालों के नाम अमिट रहते हैं। हम सभी भारतवासियों के दिलों में अमर रहते हैं। हर भारतवासी वीर जवानों पर गर्व महसूस करती है। अपनी जान की बाजी लगाकर भारत माता की रक्षा करते हैं। ये देश हमारी सेना के पराक्रमी महानायकों का सदा सर्वदा ऋणी है। “पाकिस्तान ने अतीत में जितने भी दुष्प्रयास किए उसे मुंह की खानी पड़ी लेकिन पाकिस्तान ने अपने इतिहास से कुछ नहीं सीखा है। ये भारत है सुन लीजिए भारतीय सेना राष्ट्र के सम्मान की खातिर मुंह तोड़ जबाव देना जानती है, वक्त पड़े तो घर में घुसकर मारना जानती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारी तीनों सेनाएं आत्मनिर्भर हो गई हैं। ये नया भारत सशक्त और समृद्धि के साथ आगे बढ़ रहा है। जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटाने सपना सरकार ने पूरा किया। सरकार के सौर्य ने हमारे सपने को साकार करने में अहम योगदान दिया। सरकार की प्रतिबद्धता है कि देश की सेना को हर मायने में सशक्त बनाना। हम तीनों सेना दल को मजबूत बना रहे हैं।

    कारगिल विजय दिवस की यादें

    3 मई 1999 से 26 जुलाई 1999 तक चले कारगिल युद्ध को भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय नाम दिया था। इस युद्ध के दौरान 527 बहादुर सैनिकों ने सर्वोच्च बलिदान दिया और भयंकर लड़ाई में 1363 सैनिक घायल हुए। भारतीय सेना ने 26 जुलाई 1999 को पाकिस्तानी घुसपैठियों की आखिरी खेप को खदेड़ दिया था और पूरे इलाके पर फिर से कब्जा कर लिया था। इसलिए, 26 जुलाई को इस उत्कृष्ट सैन्य जीत के सम्मान में एक कृतज्ञ राष्ट्र द्वारा विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है।

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