टोल टैक्स और डीजल के बढ़ते दाम, ट्रांसपोर्ट व्यवसाय खतरे में – सरकार से हस्तक्षेप की मांग।

ट्रांसपोर्टरों ने मालवाहकों का किराया बढ़ाने या टोलटैक्स कम करने के लिए राज्य सरकार से गुहार लगाई है। उन्होंने कहा कि सुनवाई नहीं होने पर मालावहकों के पहिए कभी भी थम सकते हैं। रायपुर से जगदलपुर के बीच आवागमन करने पर 4 टोल नाका 3500 रुपए का टैक्स देना पड़ता है। जल्दी ही पांचवें टोल को शुरू करने पर 1600 रुपए अतिरिक्त देना पड़ेगा। जबकि चार साल पहले मात्र दो टोल थे। 2021 से अब तक मालभाडा़ नहीं बढ़ाने और टोल नाका खोलने से हर ट्रीप में 30 फीसदी तक का नुकसान हो रहा है।

इसे देखते हुए रायपुर-बस्तर परिवहन महासंघ के पदाधिकारी भाड़ा बढ़ाने या टोलटैक्स में छूट दिए जाने की मांग को लेकर मुयमंत्री विष्णुदेव साय, ट्रांसपोर्ट आयुक्त, एनएचएआई के अधिकारियों और केंद्रीय परिवहन एवं भूतल मंत्री नितिन गड़करी से मुलाकात करेंगे। इस दौरान मालवाहकों का संचालन करने को लेकर को लेकर हो रही परेशानी का ब्यौरा देंगे। इस संबंध में परिवहन महासंघ की बैठक का रायपुर में आयोजन किया गया।

इसमें 300 से अधिक ट्रांसपोर्टर शामिल हुए। बैठक में रायपुर-बस्तर कोरापुट परिवहन संघ के अध्यक्ष सुखदेव सिंह सिद्दू, कोषाध्यक्ष दिवाकर अवस्थी, जगदलपुर परिवहन संघ अध्यक्ष प्रदीप पाठक, बैलाडीला ट्रक एसोसिएशन के तरूण प्रकाश एवं मनोज सिंह नारायणपुर परिवहन संघ के किशोर आर्य सहित सैकड़ों ट्रांसपोर्टर उपस्थित थे।

हर बार देना पड़ रहा 3500 टोल टैक्स, सीएम से मिलने का मांगा समय

नक्सल प्रभावित इलाकों में नागरिकों से लेकर फोर्स के जवानों को राशन-रसद और दवाइयों का परिवहन मालवाहकों के जरिए होता है। ट्रक-चालक परिचालक जान हथेली पर लेकर जंगलों के अंदरूनी इलाकों तक जाते हैं। इस दौरान कई बार विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। महासंघ के पदाधिकारियों का कहना है कि नक्सल प्रभावित इलाकों में मालवाहक ही जीवन रेखा है। कोरोना संक्रमण के दौरान ट्रकों के पहिए नहीं थमे थे।

2000 तक वसूली, विरोध करने पर खड़े कर देते

परिवहन महासंघ के पदाधिकारियों ने बताया कि रायपुर से जगदलपुर के बीच आवागमन के दौरान परिवहन और पुलिस की टीम अवैध वसूली करती है। मोटरयान अधिनियम और ओवरलोंडिग बताकर 2000 रुपए तक वसूल किए जाते। विरोध करने पर मालवाहकों को खड़े कर देते हैं। मजबूरी में उन्हें पैसा देना पड़ता है। जबकि उक्त दोनों शहरों के बीच सड़क मार्ग ही सामान के परिवहन का एकमात्र साधन है। इसके लिए हर ट्रीप में 35000 रुपए का डीजल, 3500 रुपए टोल टैक्स देना पड़ता है। नए टोल नाका के शुरू होने पर 1600 रुपए तक अतिरिक्त देना पड़ेगा।

नुकसान से परेशान

ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि पिछले 4 साल में डीजल, ऑइल, मालवाहकों के कलपुर्जे से लेकर अन्य सामान में 40 फीसदी तक का इजाफा हुआ है। सरकारी काम करने पर कई महीनों तक भुगतान के लिए इंतजार करना पड़ता है। इसके बाद भी भाड़ा नहीं बढ़ाया गया। जिससे पिछले काफी समय से नुकसान हो रहा है। बैंकों से लोन लेकर खरीदे गए ट्रकों की किस्त तक निकालना मुश्किल हो रहा है। लोन नहीं देने के कारण, हादसा होने के कारण 50 से ज्यादा ट्रके खड़े हैं।

टोल में सुनवाई नहीं

महीने भर पहले नए नियमों के लागू होने के बाद टोल टैक्स 10 से 17 फीसदी तक बढ़ गए है। नियमानुसार 24 घंटे के भीतर आवागमन करने पर छूट दी जानी चाहिए। लेकिन, हर बार गुजरने पर टोल देना पड़ता है। नक्सल प्रभावित इलाकों में जोखिम उठाने के बाद भी वह मालवाहकों का संचालन कर रहे हैं। जबकि रायपुर से पडो़सी राज्य महाराष्ट्र के नागपुर का टोल राज्य के भीतर उतने ही दूरी पर जगदलपुर जाने 10 से 25 फीसदी ज्यादा टोल देना पड़ रहा है।

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