CCI कर सकता है एशियन पेंट्स की जांच, वर्चस्व के दुरुपयोग का आरोप

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ए​शियन पेंट्स के ​खिलाफ जांच का आदेश दे सकता है। इस मामले से अवगत लोगों ने बताया कि कंपनी पर बाजार में अपने वर्चस्व का दुरुपयोग करने का आरोप है। आयोग प्राप्त शुरुआती जानकारी के आधार पर जांच का आदेश दे सकता है। सूत्रों के अनुसार, इस मामले की जांच करने के लिए महानिदेशक (जांच) को जल्द ही एक औपचारिक आदेश जारी किया जा सकता है। आयोग को आदित्य बिड़ला की कंपनी बिड़ला ओपस की ओर से एक शिकायत मिली थी। उसमें आरोप लगाया गया है कि 53 फीसदी बाजार हिस्सेदारी वाली बाजार की अग्रणी कंपनी एशियन पेंट्स प्रतिस्पर्धारोधी आचरण और बहिष्कार जैसे तरीके अपना रही है।

एशियन पेंट्स के खिलाफ लगाए गए आरोपों में डीलरों को ग्रासिम के बिड़ला ओपस के साथ कारोबार करने से रोकना भी शामिल है। ग्रासिम आदित्य बिड़ला समूह की प्रमुख कंपनी है। इसके अलावा यह भी आरोप लगाया गया है कि एशियन पेंट्स ने कच्चे माल के आपूर्तिकर्ताओं पर बिड़ला ओपस को आपूर्ति न करने अथवा मूल्य में भेदभाव करने के लिए दबाव डाला था।

प्रतिस्पर्धा आयोग को 2019 में जेएसडब्ल्यू पेंट्स की ओर से भी एशियन पेंट्स के खिलाफ इसी तरह की शिकायत मिली थी। उसमें आरोप लगाया गया था कि उसके सजावटी पेंट कारोबार शुरू करने के तुरंत बाद एशियन पेंट्स ने उन डीलरों पर दबाव बनाना शुरू कर दिया था जो जेएसडब्ल्यू पेंट्स के सजावटी पेंट्स का स्टॉक रखने और स्टोरों में उसे प्रदर्शन करने के लिए सहमत हुए थे।

मगर उस समय आयोग ने जेएसडब्ल्यू पेंट्स की याचिका को निपटाते हुए कहा था, ‘आयोग का मानना है कि संतुलन का झुकाव जेएसडब्ल्यू पेंट्स की ओर नहीं है। एशियन पेंट्स ने बताया है कि डीलरों के लिए अपनाई गई उसकी कुछ रणनीति व्यापार की शर्तों को आगे बढ़ाने के लिए थीं न कि जेएसडब्ल्यू पेंट्स को बाजार से दूर रखने के लिए।’

सूत्रों ने कहा कि जेएसडब्ल्यू द्वारा की गई शिकायत एक व्यापक बाजार से संबंधित थी जहां वर्चस्व के दुरुपयोग को स्थापित नहीं किया जा सका। मगर मौजूदा मामला कुछ खास बाजारों और उत्पादों से संबंधित है। आयोग की ओर से औपचारिक आदेश जारी किए जाने के बाद ही इस मामले में विस्तृत जानकारी उपलब्ध हो पाएगी।

एशियन पेंट्स के एमडी एवं सीईओ अमित सिंगले ने मार्च तिमाही के नतीजे की घोषणा के बाद निवेशकों से कहा था कि कंपनी को बाजार में नरमी के साथ-साथ बढ़ती प्रतिस्पर्धा की दोहरी मार झेलनी पड़ी।

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