जयपुर। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में रियायती दर पर जमीन लेकर शर्तों का उल्लंघन करने वाली संस्थाओं पर भाजपा सरकार ने कार्रवाई शुरू कर दी है। सरकार के निर्देश पर निकाय जांच कर रहे हैं। जेडीए ने 5 लाख वर्गमीटर भूमि के तीन अलग-अलग आवंटनों के मामलों में इंडियन मेडिकल ट्रस्ट को नोटिस जारी किया है। आरोप है कि, ट्रस्ट ने गलत तथ्य प्रस्तुत कर जमीन ली और आवंटन शर्तों की पालना नहीं की, जिसे गंभीर माना गया है।
इस आधार पर आवंटन निरस्त करने की चेतावनी देते हुए ट्रस्ट से स्पष्टीकरण मांगा गया है। ट्रस्ट को अस्पताल, स्कूल, कॉलेज और स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के लिए पिछली कांग्रेस सरकार में बेहद रियायती दर पर जमीन आवंटित की गई थी। नगरीय विकास मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने सभी विकास प्राधिकरणों, नगर विकास न्यासों और निकायों से ऐसे सभी मामलों की 15 दिन में सूची प्रस्तुत करने को कहा है, जहां आवंटन शर्तों का उल्लंघन हुआ है।
स्थान : साइंसटेक सिटी, दिल्ली रोड
जमीन क्षेत्रफल : 4,04,164 वर्गमीटर
उपयोग : स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय
डीएलसी दर : 1,052.80 रुपए प्रति वर्गमीटर
आवंटन दर : 379 रुपए प्रति वर्गमीटर (डीएलसी दर प्लस 20 प्रतिशत का 30 प्रतिशत राशि पर)
नोटिस में बताया गया
ट्रस्ट की ओर से प्रस्तुत डीपीआर में तथ्यात्मक गड़बड़ी है। विद्यार्थियों के प्रति वर्ष नामांकन, प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार से संबंधित आंकड़ों में विरोधाभास है। डीपीआर में विद्यार्थियों का प्रतिवर्ष नामांकन 11,640, प्रत्यक्ष रोजगार 11,855 तथा अप्रत्यक्ष रोजगार 7,21,400 बताया गया था। अफसरों का कहना है कि जांच में ऐसे कोई प्रमाण नहीं मिले जो इन दावों की पुष्टि करते हों। डीपीआर में वर्ष 2023 में 15 करोड़ रुपए, वर्ष 2024 में 413 करोड़ रुपए और वर्ष 2025 में 390 करोड़ रुपए का पूंजीगत व्यय प्रस्तावित किया गया था, लेकिन यह व्यय स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर नहीं हो रहा।
स्थान : सिरोली, गोनेर
जमीन क्षेत्रफल : 95,455 वर्गमीटर (64,122 व 31,333 वर्गमीटर दो अलग-अलग आवंटन)
उपयोग : सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल और रेजिडेंशियल हायर सेकंडरी स्कूल
संस्थानिक आरक्षित दर : 12,500 रुपए प्रति वर्गमीटर
आवंटन दर : 4,313 रुपए प्रति वर्गमीटर (संस्थानिक आरक्षित दर प्लस 15 प्रतिशत का 30 प्रतिशत राशि पर)
नोटिस में बताया गया
जेडीए के स्वीकृत मानचित्र के आधार पर निर्माण कार्य 4 वर्ष में पूरा करना था, लेकिन ऐसा होता नजर नहीं आ रहा। दो भूखंडों पर अब तक निर्माण कार्य शुरू नहीं किया गया। अन्य दो भूखंडों पर मानचित्र के विपरीत निर्माण किया जा रहा है।