पंजाब के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक डॉ. विजय सिंगला को भ्रष्टाचार के एक मामले में पंजाब पुलिस ने क्लीन चिट दे दी है. यह मामला 2022 में मोहाली के फेज-8 थाने में दर्ज किया गया था. शिकायत में आरोप लगाया गया था कि विजय सिंगला ने सरकारी ठेकों के आवंटन के बदले एक फीसदी कमीशन की मांग की थी. पंजाब पुलिस ने अपनी क्लोजर रिपोर्ट में कहा है कि विजय सिंगला के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिले हैं. हालांकि उनके ओएसडी (ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी) रहे प्रदीप के खिलाफ जांच अभी भी जारी रहेगी.
पंजाब पुलिस की इस क्लोजर रिपोर्ट से शिकायतकर्ता भी सहमत है. लेकिन इस फैसले ने पंजाब की सियासत में हलचल मचा दी है. विपक्षी दलों ने इस मामले को लेकर आप सरकार और मुख्यमंत्री भगवंत मान पर निशाना साधा है. शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल ने सवाल उठाया है कि मुख्यमंत्री ने खुद दावा किया था कि उनके पास विजय सिंगला के खिलाफ भ्रष्टाचार के पुख्ता सबूत हैं, जिसके आधार पर उन्हें मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया गया था. बादल ने पंजाब सीएम और दिल्ली पार्टी प्रमुख पर तंज कसते हुए पूछा कि ‘अब उन सबूतों का क्या हुआ? क्या दिल्ली लॉबी के दबाव में विजय सिंगला को क्लीन चिट दी गई है?’
मामले की स्वतंत्र जांच होनी चाहिए: बादल
सुखबीर सिंह बादल ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री ने दावा किया था कि विजय सिंगला ने उनके सामने अपना अपराध स्वीकार किया था. अब इस क्लीन चिट से सवाल उठ रहे हैं कि क्या जांच एजेंसियों पर दबाव डाला गया. बादल ने मांग की है कि इस मामले की जांच को राज्य से बाहर ट्रांसफर किया जाए और एक स्वतंत्र एजेंसी द्वारा इसकी निष्पक्ष जांच हो ताकि सच सामने आ सके. विपक्ष का आरोप है कि आप सरकार अपने नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने में नरम रवैया अपना रही है, जबकि विपक्षी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई में तेजी दिखा रही है.
क्या था पूरा मामला?
यह मामला ठेके के कमीशन से जुड़ा है जिसमें शिकायतकर्ता राजिंदर सिंह ने प्रदीप कुमार (OCD) को 58 करोड़ रुपये के कार्यों के ठेके में से 2 फीसदी कमीशन जो कि लगभग 1.16 करोड़ रुपये मांगे थे. जिसमें से 17 करोड़ रुपये के कार्य पहले ही ठेकेदारों को दिए जा चुके थे. शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया कि जब उन्होंने कमीशन देने से इनकार किया, तो उन्हें बार-बार व्हाट्सएप कॉल और धमकियां मिलनी शुरू हो गई. यह कहते हुए कि अगर उन्होंने बात नहीं मानी तो उनका करियर खत्म कर दिया जाएगा. शिकायत में आगे कहा गया कि 20 मई को उनसे 10 लाख रुपये की मांग की गई, और बताया गया कि आगे के कामों के आवंटन के लिए 1 फीसदी कमीशन देना अनिवार्य होगा. 23 मई को राजिंदर सिंह सचिवालय गए, जहां उन्होंने मंत्री और उनके ओएसडी से मुलाकात की और कथित तौर पर मंत्री को रिश्वत (5 लाख रुपये) देने का निर्देश देते हुए रिकॉर्ड भी किया.