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    नो-कॉस्ट ईएमआई में फंसने से बचें, त्योहारों की शॉपिंग में हो सकती है छिपी लागत

    व्यापार: इस बार का त्योहारी सीजन खरीदारी के लिहाज से खास है, क्योंकि जीएसटी दरों में कटौती से उत्पादों के दाम घट गए हैं। इसके अलावा, खुदरा विक्रेता, कंपनियां और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म रेफ्रिजरेटर, टीवी, कार और एसी तक हर चीज पर ऑफर दे रहे हैं। ऐसा ही एक ऑफर है नो-कॉस्ट ईएमआई, जो लोकप्रिय है। ऐसा प्रचारित है कि इस पर कोई ब्याज नहीं लगता है। पहली नजर में यह सरल और सुविधाजनक लगता है। फिर भी, ध्यान से देखें तो नो-कॉस्ट ईएमआई में कई लागतें छिपी होती हैं। अगर आप भी त्योहारी सीजन में खरीदारी के लिए यह विकल्प चुनते हैं, तो लागतों पर जरूर ध्यान दें।

    ऐसे काम करता है नो-कॉस्ट ईएमआई
    नो-कॉस्ट ईएमआई ब्याज मुक्त नहीं होता, बल्कि आमतौर पर विक्रेता या निर्माता कंपनियां उत्पाद की कीमतों में बदलाव कर खुद उसका वहन करती हैं।
    उदाहरण के लिए…12 फीसदी ब्याज पर अगर आप 30,000 रुपये का कोई उपकरण 12 महीने की ईएमआई पर खरीदते हैं, तो उसकी कुल लागत 33,600 रुपये होगी।
     

    • नो-कॉस्ट ईएमआई का विकल्प चुनने पर आपको उस उपकरण के लिए सिर्फ 30,000 रुपये का ही भुगतान करना होगा। इसमें विक्रेता ब्याज को वहन करने के लिए कीमत में बदलाव करता है।
    • इसमें खरीदार को किफायती किस्तों में भुगतान करने की सुविधा मिल जाती है। बैंक को ब्याज मिलता है और विक्रेता/कंपनी की बिक्री बढ़ जाती है।

    छिपी लागतें और छूट भी नहीं

    नो-कॉस्ट ईएमआई में आमतौर पर अग्रिम छूट का लाभ नहीं मिलता है। 22,000 रुपये की कीमत वाला एक टीवी एक साथ भुगतान करने पर 19,500 रुपये का पड़ सकता है, लेकिन ईएमआई पर इसकी कीमत 22,000 रुपये रहेगी।

    • इसके बाद अतिरिक्त शुल्क लगते हैं। नो-कॉस्ट ईएमआई के लिए प्रोसेसिंग शुल्क उत्पाद/लेनदेन के आधार पर 199 से 699 रुपये तक हो सकता है।
    • एक किस्त चूकने पर 500 से 750 रुपये तक विलंब शुल्क और दंडात्मक ब्याज लग सकता है।

    क्रेडिट स्कोर पर असर

    नो-कॉस्ट ईएमआई को कर्ज माना जाता है। अगर कोई बड़ी खरीदारी करते हैं, जिस पर उपलब्ध क्रेडिट लिमिट की 30-40 फीसदी राशि खर्च होती है, तो आपका क्रेडिट स्कोर प्रभावित होता है। ईएमआई भुगतान में चूक पर विलंब शुल्क भी लगता है।

    सही तरीके से इस्तेमाल करें, नहीं तो महंगा पड़ेगा
    पैसे की कमी हो, तभी नो-कॉस्ट ईएमआई विकल्प का चुनाव करें। इससे थोड़ी राहत जरूर मिलेगी। लेकिन, नो-कॉस्ट ईएमआई या कोई भी ऑफर लेने से पहले शुल्क, लागत और अन्य चीजों का ध्यान रखें। इस सुविधा का समझदारी से इस्तेमाल करने पर खरीदारी आसान बन सकती है, अन्यथा यह आपकी उम्मीद से अधिक महंगा पड़ सकता है। -आदिल शेट्टी, सीईओ, बैंक बाजार 

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