More
    Homeधर्म-समाजभगवान राम के वियोग में यहीं भरत ने की थी 14 साल...

    भगवान राम के वियोग में यहीं भरत ने की थी 14 साल तपस्या, गड्ढा खोदकर बनाया था विश्राम स्थल

    देशभर में दीपावली का त्योहार मनाया जा रहा है और इस मौके पर अयोध्या की चमक स्वर्ग में बने महल के जैसी होती है, जो दीपों से जगमगा जाती है. अयोध्यावासी हर साल दीपावली पर भगवान राम के स्वागत के लिए दीपों से अयोध्या को सजा देते हैं, लेकिन अयोध्या में एक ऐसी जगह है, जहां भगवान राम के छोटे भाई भरत ने 14 साल की कठोर तपस्या की थी और वहीं से अयोध्या का शासन चलाया था.

    भरत ने यहां बनाया था अपना स्थान
    त्रेतायुग में मां कैकयी के कहने पर भगवान राम ने भरत को सिंहासन सौंपते हुए वनवास स्वीकार किया था. उस वक्त सभी की आंखों में आंसू थे, लेकिन भरत का मन सबसे ज्यादा व्यथित था. भरत के मन में भी राज्य का राजा बनने का कोई लालच नहीं था और वह अपने भाई को ही अयोध्या पर राज करते देखना चाहते थे. भगवान राम के वनवास जाने के बाद भरत ने अयोध्या से दूर नंदीग्राम में अपना स्थान लिया और 14 साल तक भगवान राम की चरण पादुका को सिंहासन पर रख अयोध्या पर राज किया था.

    14 साल कड़ी तपस्या की
    नंदीग्राम में बने भरत कुंड में भरत ने वियोग में 14 साल कड़ी तपस्या की थी. अयोध्या के थोड़ा दूर नंदीग्राम में बने भरत कुंड की मान्यता बहुत है. यहां एक सरोवर कुंड है, जहां लोग स्नान करने आते हैं और अपने पितृों का तर्पण भी करते हैं. भरत कुंड में 27 तीर्थों का जल है, जिसकी वजह से इसकी मान्यता बहुत ज्यादा है. माना जाता है कि भगवान राम के अयोध्या लौटने पर इसी जल से उनका अभिषेक किया गया था. वहां छोटे से बने मंदिर में आज भी भगवान राम की चरण पादुका को एक चिन्ह स्वरूप विराजित किया गया है.

    वट वृक्ष की लटाएं कभी जमीन को नहीं छूती
    इसके अलावा मंदिर के प्रांगण में एक वट वृक्ष भी है. माना जाता है कि इसी वट वृक्ष के नीचे बैठकर भरत ने 14 साल कड़ी तपस्या की थी और इसी वजह से वट वृक्ष की लटाएं कभी जमीन को नहीं छूती हैं. यहीं बैठकर भरत ने हनुमान जी पर कोई राक्षस समझकर बाण चलाया था और भगवान हनुमान मूर्छित होकर गिर गए थे. मूर्छित पड़े हनुमान जी को वट वृक्ष की लताओं ने उठाया था और जमीन पर रखा था. तब से माना जाता है कि लटाओं ने कभी जमीन को नहीं छुआ है. दीपावली के मौके पर नंदीग्राम में बने भरत के तपस्या स्थल पर पूजा का खास आयोजन होता है. भक्त दूर-दूर से भगवान राम और भरत के निश्छल प्रेम को दर्शाते मंदिर को देखने के लिए आते हैं.

     

    latest articles

    explore more

    LEAVE A REPLY

    Please enter your comment!
    Please enter your name here