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    ओडिशा में जन्म, गुजरात में पढ़ाई और अब कांग्रेस के लिए मुश्किल बने सैम पित्रोदा, राहुल गांधी भी बयानबाज़ी में घिरे

    अहमदाबाद: लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी गुजरात में बीजेपी को घेरने के लिए जहां नई कांग्रेस बनाने से लेकर वोट चोरी के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमलावर है तो वहीं उनके पिता के मित्र रहे सैम पित्राेदा के बयान ने फिर पूरी कांग्रेस को मुश्किल में डाल दिया है। बीजेपी ने पित्रोदा के बयान पर हमलावर हो गई है। इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के फिर से अध्यक्ष बने सैम पित्रोदा उन नेताओं में शामिल हैं जो राहुल गांधी के बेहद करीब हैं। इतना ही नहीं उनका मजबूत गुजरात कनेक्शन है। इसकी वजह है उनका गांधी से जुड़ाव। सैम पित्रोदा के जिस बयान पर विवाद हुआ है। उसमें उन्होंने कहा है कि उन्हें पाकिस्तान के दौरे में घर जैसा महसूस हुआ।

    मैं पाकिस्तान गया हूं और मैं आपको बता दूं कि मुझे वहां घर जैसा महसूस हुआ। मैं बांग्लादेश गया हूं, मैं नेपाल गया हूं और मुझे घर जैसा महसूस होता है। मुझे ऐसा नहीं लगता कि मैं किसी विदेशी देश में हूं। वे मेरे जैसे दिखते हैं, वे मेरी तरह बात करते हैं, उन्हें मेरे गाने पसंद हैं, वे मेरा खाना खाते हैं। इसलिए, मुझे उनके साथ शांति और सद्भाव से रहना सीखना होगा। यह मेरी पहली प्राथमिकता है।

    गुजरात में पढ़ाई के बाद गए अमेरिका

    सैम पित्रोदा ने इंडिया टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियर, इंवेटर और इंटरप्रिन्योर के तौर पर अपनी पहचान बनाई है। सैम पित्रोदा एक गुजरात माता-पिता की संतान हैं। उनके परिवार ओडिशा चला गया था। जहां पर सैम पित्रोदा का 16 नवंबर 1942 को जन्म हुआ। पित्रोदा का जन्म स्थान टिटलागढ़ है लेकिन उनके माता-पिता महात्मा गांधी के दर्शन से काफी प्रभावित थे। यही वजह थी कि सात भाई-बहनों तीसरे नंबर के सैम पित्रोदा को उनके पिता ने पढ़ने के लिए गुजरात भेज दिया। पित्रोदा ने गुजरात के वल्लभ विद्यानगर से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की और वडोदरा के महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय से भौतिकी और इलेक्ट्रॉनिक्स में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की। भौतिकी में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त करने के बाद, वे 1964 में संयुक्त राज्य अमेरिका चले गए और शिकागो के इलिनोइस इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की।

    तब देना पड़ा गया था इस्तीफा

    पित्रोदा वडोदरा की नामचीन एमएस यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र हैं। 1987 में, प्रधानमंत्री राजीव गांधी के सलाहकार के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, पित्रोदा ने दूरसंचार, जल, साक्षरता, टीकाकरण, डेयरी और तिलहन से संबंधित छह प्रौद्योगिकी मिशनों का नेतृत्व किया। उन्होंने भारत के दूरसंचार आयोग की स्थापना की और उसके पहले अध्यक्ष बने। ज्ञान संस्थानों और बुनियादी ढांचे के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करने के लिए पित्रोदा 2004 में दूसरी बार भारत लौटे। पित्रोदा ने राष्ट्रीय ज्ञान आयोग (2005-2009) के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। यूपीए सरकार जाने के बाद वह फिर पूरी तरह से अमेरिका शिफ्ट हो गए। 82 साल के पित्रोदा पहली बार अपने बयान की वजह से विवाद में नहीं है। लोकसभा चुनावों के दौरान उनके बयान पर जब विवाद हुआ तो कांग्रेस ने उन्हें ओवरसीज अध्यक्ष के पद से हटा दिया था। तब उनके रंगभेद पर बोलने की चलते बवाल खड़ हो गया था।

    फिर राहुल गांधी को मुश्किल में डाला

    पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने बदले में ऑपरेशन सिंदूर से कार्रवाई की थी। हाल ही में जब भारत ने एशिया कप में पाकिस्तान के साथ क्रिकेट मैच खेला तो कांग्रेस ने इसका कड़ा विरोध किया था। कांग्रेस ने ऐसा करते हुए पूछा था कि जब खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते हैं तो खून और खेल कैसे? इस मुद्दे पर बीजेपी को बैकफुट पर जाना पड़ा था, लेकिन भारत की पड़ोसी देशों के साथ रिश्तों पर बोलते हुए पित्रोदा ने न सिर्फ सेल्फगोल किया है बल्कि पूरी कांग्रेस को मुश्किल में डाल दिया है। ऐसा तब हुआ जब राहुल गांधी अपनी पोस्ट में Gen Z का उल्लेख करने को लेकर बीजेपी के निशाने पर हैं। सैम पित्राेदा गुजरात के हिसाब से ओबीसी वर्ग से आते हैं। उन्होंने खुद अपनी जाति का खुलासा किया था। तब पित्रोदा ने बताया था कि वह लोहार हैं। उनके पिता लोहार और बढ़ई का काम करते थे। सैम पित्रोदा की जड़ें गुजरात के वडोदरा से जुड़ी हैं। उनके माता पिता वडोदरा में ही रहते थे।

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