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    नई GST नीति के सस्पेंस में फंसी कार मार्केट, खरीदार रद्द कर रहे लोन, बैंक हुए सतर्क

    व्यापार: जीएसटी दरों में कटौती 22 सितंबर से लागू होने के बाद कीमतें घटने के इंतजार में लोग कारों की खरीदारी टाल रहे हैं। बैंक से मंजूर कार लोन भी रद्द करा रहे हैं। ग्राहकों का कहना है कि जीएसटी 2.0 लागू होने के बाद कारों के दाम घटेंगे, जिससे उन्हें कम कर्ज लेना पड़ेगा।

    एक सरकारी बैंक के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 22 सितंबर तक जिन ग्राहकों का कार लोन स्वीकृत हो चुका था, वे उसे रद्द कराने के लिए संबंधित शाखा से संपर्क कर रहे हैं। जीएसटी सुधार के बाद मिलने वाले लाभ की तुलना में लोन रद्द कराने का शुल्क बहुत कम है। ऐसे में उधारकर्ता नए सिरे से लोन प्रक्रिया का विकल्प चुन रहे हैं।

    उधर, कई बैंकों ने मानसून में ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए ऑटो और होम लोन पर अपने प्रसंस्करण शुल्क माफ कर दिए हैं। इसके बावजूद ग्राहक अपने मंजूर लोन रद्द करा रहे हैं, जिसने बैंकों की चिंता बढ़ा दी है। जीएसटी परिषद की 56वीं बैठक में 1,200 सीसी तक की कारों पर कर दर को 28 फीसदी से घटाकर 18 फीसदी कर दिया गया है। 

    इनवॉइस जारी तो नहीं मिलेगा लाभ
    केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, अगर डीलर की ओर से ग्राहकों को इनवॉइस जारी किया गया है, तो कार खरीदने पर पुरानी जीएसटी दर लागू होगी। इनवॉइस जारी नहीं होने पर ही ग्राहक नई दर का लाभ उठा सकते हैं।

    • वाहन कंपनियों के खातों में जमा 2,500 करोड़ का मुआवजा उपकर 22 सितंबर को जीएसटी सुधार लागू होने के साथ ही खत्म हो जाएगा।

    कर सुधारों से मांग 3.50 लाख करोड़ बढ़ने की उम्मीद

    सरकार के जीएसटी दरों में कमी और आयकर छूट से अर्थव्यवस्था में कुल 3.50 लाख करोड़ रुपये की मांग बढ़ सकती है। इन सुधारों के जरिये 7 से 7.50 फीसदी की वृद्धि दर हासिल करना संभव हो सकेगा। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि नीति-निर्माताओं को अर्थव्यवस्था और रोजगार सृजन की रफ्तार तेज करने के लिए विनिर्माण क्षेत्र पर ध्यान देनी होगी। इसके लिए अन्य क्षेत्रों में सुधार अत्यंत महत्वपूर्ण होगा। विशेष रूप से भूमि और श्रम क्षेत्र में। मद्रास स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स के निदेशक एनआर भानुमूर्ति ने कहा, प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों में किसी भी कर का गुणक ऋणात्मक होता है। यानी जितना अधिक कर होगा, उत्पादन उतना ही कम होगा। ऐसे में, सुधारों से करों का बोझ घटेगा, जिससे आर्थिक वृद्धि की क्षमता 7 से 7.5 फीसदी तक बढ़ सकती है।

    ऐसे आएंगे 3.50 लाख करोड़
    आनंद राठी ग्रुप के मुख्य अर्थशास्त्री एवं कार्यकारी निदेशक सुजान हाजरा ने कहा, 2025-26 के बजट में आयकर दर में हुई कटौती से लोगों की खर्च योग्य आय में प्रभावी रूप से वृद्धि हुई है।

    • उपभोग की प्रवृत्ति को देखते हुए कुल मांग में 2.30 लाख करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हो सकेगी।  
    • जीएसटी दरों में कमी के गुणक प्रभाव को ध्यान में रखते हुए 1.20 लाख करोड़ की मांग बढ़ेगी। इस तरह, अर्थव्यवस्था में कुल 3.50 लाख करोड़ आएंगे।
    • हाजरा ने कहा, उपभोग में वृद्धि के साथ कंपनियों का मुनाफा भी बढ़ेगा। बढ़ी हुई खपत से कंपनियों की बिक्री मात्रा के साथ शुद्ध लाभ भी बढ़ेगा।

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