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    CM ने सांसद-विधायकों को समझाया मंत्र– जनता के बीच काम ही सबसे बड़ा हथियार

    सोमवार सुबह मुख्यमंत्री आवास के दरवाजे जैसे ही बंद हुए, भीतर सत्ता और संगठन का ऐसा महामंथन शुरू हुआ, जिसने कई नेताओं की धड़कनें तेज कर दीं। विधानसभा सत्र से पहले मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने बेहद साफ लहजे में कह दिया कि अब समय शिकायतों का नहीं बल्कि काम का है।

    बैठक की शुरुआत प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ के संबोधन से हुई, जिसमें जिलाध्यक्षों को अपने-अपने क्षेत्रों की रिपोर्ट देनी थी। मंच पर बैठे वरिष्ठ नेता चुपचाप सुन रहे थे लेकिन माहौल तभी बदल गया जब मुख्यमंत्री ने सख्त लहजे में कहा कि मंत्री हो या विधायक, आपस में शिकायतें बंद करो। सत्ता और संगठन सबकी रिपोर्ट ले रहा है। इस एक वाक्य ने ही कमरे में गहरा सन्नाटा भर दिया और कई नेता असहज हो उठे।

    इसके बाद बैठक का दूसरा चरण शुरू हुआ, जिसमें नेताओं को छोटे-छोटे समूहों में बांटा गया और हर समूह को एक वरिष्ठ नेता की जिम्मेदारी दी गई। भरतपुर लोकसभा क्षेत्र की कमान पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी को मिली। इसी तरह अशोक परनामी, अरुण चतुर्वेदी और राजेंद्र राठौड़ को दो-दो लोकसभा क्षेत्रों की जिम्मेदारी दी गई। माहौल ऐसा था मानो हर कोई इस इंतजार में था कि अगली सूची में किसका नाम आने वाला है। महामंथन का तीसरा हिस्सा पूरी तरह विधानसभा सत्र की तैयारी को लेकर था। मुख्यमंत्री ने साफ कहा कि विपक्ष सदन में हंगामा करेगा लेकिन भाजपा पीछे नहीं हटेगी। हर मंत्री और विधायक पूरी तैयारी के साथ आए, यही संदेश दिया गया।

    बैठक में पंचायत और निकाय चुनावों पर भी विस्तार से चर्चा हुई। यह साफ कर दिया गया कि टिकट उसी को मिलेगा, जिसने संगठन के लिए पूरी निष्ठा से काम किया है। मुख्यमंत्री ने यहां तक कह दिया कि कोई सांसद या विधायक खुद को संगठन से ऊपर न समझे। यह संदेश स्पष्ट था कि आने वाले चुनावों में समर्पण ही असली कुंजी होगा।

    बैठक का सबसे अहम और रोचक हिस्सा मुख्यमंत्री का विकसित राजस्थान 2047 का संकल्प रहा। जल जीवन मिशन, मुफ्त बिजली और राम जल सेतु लिंक परियोजना पर उन्होंने विशेष जोर दिया और दावा किया कि इन योजनाओं से 3 करोड़ लोगों को पानी और 4 लाख हेक्टेयर जमीन को सिंचाई उपलब्ध होगी। इस दौरान कई नेता कानाफूसी करते भी नजर आए लेकिन मुख्यमंत्री का विश्वास अटल दिखाई दिया।

    इसके अलावा विधायकों को सीधा निर्देश दिया गया कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में जर्जर स्कूल भवनों की सूची बनाकर सरकार को सौंपें। यह केवल प्रशासनिक आदेश नहीं था, बल्कि इसके पीछे छुपा संदेश भी था कि जनता से जुड़े रहने वाले ही संगठन की नजर में मजबूत माने जाएंगे। बैठक के समापन पर मुख्यमंत्री ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि भाजपा ने 20 महीनों में उतना काम किया है, जितना कांग्रेस अपनी पांच साल की सरकार में भी नहीं कर पाई। फिर भी विपक्ष झूठा नरेटिव फैलाने में सफल रहा है।

    इस महामंथन के पहले ही दिन यह स्पष्ट हो गया कि अब राजस्थान भाजपा की राजनीति में शिकायतों का दौर खत्म हो चुका है। संगठन सर्वोपरि रहेगा और आने वाले पंचायत, निकाय चुनाव और विधानसभा सत्र ही नेताओं की असली परीक्षा साबित होंगे।

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