गोहाना (सोनीपत)। शिक्षा विभाग भले ही राजकीय स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को बेहतर सुविधाएं मुहैया करवाने के दावे करता हो, लेकिन जमीन स्तर पर कई स्कूलों में हालात आज भी बदतर हैं। गोहाना के गांव बरोदा मोर में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय का भवन लगभग 58 साल पुराना है, जिसे करीब चार साल पहले जर्जर घोषित कर दिया था। अब भी यहां पर कक्षाएं लग रही हैं। भवन में कई कमरों की स्थिति बेहद दयनीय है। वर्षा होने पर बरामदे में कक्षाएं लगानी पड़ती हैं। इसके अलावा सोनीपत शहर के शंभू दयाल स्कूल का भवन भी जर्जर हो चुका है, जिससे हमेशा हादसे की आशंका बनी रहती है। वहीं खरखौदा के गांव मंडोरा के राजकीय स्कूल में भवन जर्जर हो चुका है, भले ही यहां कक्षाएं न लगाई जाती हों, लेकिन सफाई व्यवस्था बदहाल होने से विद्यार्थियों की सुरक्षा दांव पर ही रहती है।
गांव बरोदा मोर में 1967 में राजकीय विद्यालय का भवन बनाया गया था। तब इस भवन को समाजसेवियों द्वारा दिए गए चंदे से तैयार कराया गया था। यहां पर दानी सज्जनों के नाम भी लिखवाए गए हैं। गांव में पहले 10वीं तक का विद्यालय था, जिसे बाद में अपग्रेड करके 12वीं तक का बनाया गया। यहां पर विद्यालय, वाणिज्य और कलां संकाय चल रहे हैं। विद्यालय अपग्रेड होने के बाद सरकार से मिलने वाली ग्रांट से कमरों का निर्माण भी करवाया गया था। अब पूरा भवन अब जर्जर हालत में है। लगभग चार वर्ष पहले विद्यालय के भवन को जर्जर घोषित कर दिया था। नया भवन बनाने के लिए ग्रांट भी मंजूर हुई, लेकिन समय पर काम शुरू नहीं हुआ। लगभग डेढ़ साल पहले नए भवन का काम शुरू कराया गया। चारदीवारी का काम पूरा हो चुका है। भवन का निर्माणकार्य अंतिम चरण में है। एजेंसी द्वारा अगस्त-सितंबर 2025 तक काम पूरा कराने का आश्वासन दिया गया है। विद्यालय में 251 विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। फिलहाल पुराने भवन में ही कक्षाएं लगाई जा रही हैं। प्राचार्य राजेंद्र सिंह का कहना है कि जिन कमरों की स्थिति ठीक नहीं है उनमें कक्षाएं नहीं लगाई जाती हैं। वर्षा होने पर कमरों के अंदर नहीं बरामदे में कक्षाएं लगाई जाती हैं। नया भवन जल्द तैयार हो जाएगा, जिसके बाद कक्षाएं वहां पर लगाई जाएंगी।
जर्जर भवन के चलते मॉडल संस्कृति स्कूल नहीं बन पाया
शिक्षा विभाग द्वारा गांव बरोदा के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय को माडल संस्कृति स्कूल घोषित कर दिया था। गेट के ऊपर भी माडल संस्कृति स्कूल लिखवाया गया था। सीबीएसई द्वारा विद्यालय का भवन जर्जर होने के चलते मंजूरी नहीं दी। इसके चलते यह विद्यालय माडल संस्कृति नहीं बन पाया। नया भवन तैयार होने पर अधिकारी दोबारा से इसे माडल संस्कृति स्कूल बनाने की प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं।
चौ. टीकाराम से जुड़ाव के कारण नहीं होने दी बोली
खरखौदा: गांव मंडोरा स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में पुराना भवन जर्जर हो चुका है। ऐसे में लंबे समय से ही इसे उपयोग में भी नहीं लाया जा रहा है। दूसरे भवन का निर्माण कर वहां पर स्कूल का संचालन किया जा रहा है। शिक्षा विभाग की तरफ से पुराने भवन को जर्जर घोषित कर इसे गिराने और मलबे की बोली कराने की योजना बनाई थी। पंचायत ने इस पर आपत्ति की। आपत्ति का कारण था कि गांव के ही शिक्षाविद चौ. टीकाराम की यादें इस स्कूल से जुड़ी होना। एक समय जब यह स्कूल बन रहा था तो बजट के अभाव में निर्माण कार्य बंद हो गया था। जब इसका पता चौ. टीकाराम को चला तो उन्होंने अपने घर की छत उखाड़कर कड़ी व पत्थर इस स्कूल में लगवा दी थी और काम पूरा कराया था। ऐसे में गांव वासियों ने स्कूल के भवन से लगाव होने के चलते खुद ही स्कूल की हालत में सुधार कराने की बात कही। तभी से पुराना भवन जर्जर हालत में है।
करीब 30 साल पुराना है शंभू दयाल स्कूल का भवन
सोनीपत : शंभू दयाल स्कूल का चार मंजिला भवन लगभग 30 साल पुराना है। स्कूल में विद्यार्थी नियमित रूप से पढ़ाई के लिए आ रहे हैं। नगर सुधार मंच के चेयरमैन संजय सिंगला ने कहा कि भवन पुराना होने के कारण हादसे की आशंका बनी रहती है। उन्होंने बताया कि स्कूल के सामने दो अस्पताल हैं, जहां लोगों का आवागमन बना रहता है। जब उन्होंने स्कूल प्राचार्य सौरभ शर्मा ने बातचीत की तो बताया कि ऊपर की दो मंजिलों को हटाने के लिए कोर्ट में एप्लीकेशन दी गई है। स्कूल प्रबंधक के एक सदस्य ने भवन पर स्टे ले रखा है, जिससे कार्य रुका हुआ है।