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    कान में झुमका, फैंसी दुप्पटा…, महाराष्ट्र पहुंचीं कथावाचक जया किशोरी ने बताया उन्हें क्या पसंद है

    पुणे: प्रसिद्ध कथावाचक जया किशोरी महाराष्ट्र के पुणे के एक अलग अंदाज में नजर आईं। गणपति मंडल के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में पहुंची जया किशोरी ने अपनी पंसद से लेकर शादी के सवाल पर खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र आकर खुशी मिलती है क्योंकि उनकी मां महाराष्ट्र से हैं। उनका यहां पर ननिहाल है। ऐसे में महाराष्ट्र का खानपान उन्हें पंसद हैं। गणपति के प्राण प्रतिष्ठा में बुलाए जाने पर उन्होंने कहा कि मेरा प्रमोशन हो रहा है। मैं पिछली बार आरती में आई थी लेकिन इस बार प्राण-प्रतिष्ठा में आई हूं। कानों में झुमके और फैंसी दुप्पटा डालकर पहुंची जया किशाेरी श्रीमंत बाबूसाहेब रंगारी गणपति के कार्यक्रम में आर्कषण का केंद्र बनी रहीं। जया किशोरी ने लोगों ने कहा कि अगले 10 दिनों के लिए आधुनिकता का त्याग कर दे और फिर भक्ति में लीन रहें।

    अपनी शादी पर बोलीं जया किशोरी

    जया किशाेरी से जब यह पूछा गया कि उनकी शादी को लेकर अक्सर सवाल होता है। उन्होंने बप्पा से क्या मांगा? इस पर जया किशोरी ने कहा कि मैंने बप्पा से अपनी शादी के लिए कुछ नहीं मांगा, वो हो जाएगी। मैंने बस इतना ही मांगा है कि सब पर भगवान की कृपा बनी रहे। जया किशोरी मूलरूप से राजस्थान की रहने वाली हैं। उन्होंने अपनी कथा और भजनों से बड़ी पहचान बनाई है। गणपति की स्थापना के मौके पर बेहद खुश दिख रहीं जया किशोरी ने कहा कि 'वोकल फॉर लोकल' का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि भारत के लोगों से ज्यादा कला किसी के पास नहीं है। उन्होंने अपील की कि स्थानीय लोगों को मौका दें। ऐसा करने से एक बार फिर भारत सोने की चिड़िया बनेगा। जया किशाेरी ने कहा कि जब दुनिया के बाकी हिस्सों में औपचारिक शिक्षा शायद शुरू भी नहीं हुई थी, तब भारत में लगभग सात लाख तीस हज़ार गुरुकुल थे।

    डीजे पर भी बोलीं जया किशोरी

    जया किशोरी ने कहा कि पुनीत बालन की तरफ से गणपति प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को डीजे मुक्त रखने की तारीफ की। उन्होंने कहा कि डीजे मुक्त गणपति का आयोजन अच्छी पहल है। जया किशोरी ने कहा कि डीजे-मुक्त गणपति गणेशोत्सव समारोहों की पवित्रता और आध्यात्मिक सार को पुनर्स्थापित करने की दिशा में एक सराहनीय कदम है। कथावाचक जया किशोरी ने कहा कि डीजे मुक्त और शोरगुल से मुक्त आयोजन सच्ची भक्ति को दर्शाते हैं। उन्होंने कहा कि समुदायों को केवल शोरगुल के बजाय सार्थक उत्सव मनाने के लिए प्रेरित करती हैं। उनके समर्थन ने पुनीत बालन के एक अधिक सामंजस्यपूर्ण और भावपूर्ण उत्सव के दृष्टिकोण को आध्यात्मिक रूप से बल प्रदान किया। गणेशाेत्सव महाराष्ट्र का सबसे पर्व है, लेकिन गणपति के आगमन और विर्सजन जूलूसाें में डीजे के कानफोडू शोर पर कई बार सवाल खड़े हो चुके हैं।

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