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    नर्स निमिषा प्रिया को बचाने की कोशिशें तेज, केरल के CM ने पीएम मोदी से हस्तक्षेप करने का किया अनुरोध

    नई दिल्ली: यमन में केरल की नर्स, निमिषा प्रिया को हत्या के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई है. यमन के राष्ट्रपति ने उनकी फांसी की सजा पर हस्ताक्षर कर दिए हैं, और अब उन्हें 16 जुलाई को फांसी दी जाएगी. इस गंभीर स्थिति में, केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा. उन्होंने इस मामले में पीएम मोदी से तुरंत हस्ताक्षेप करने की मांग की है ताकि निमिषा की जान बचाई जा सके.

    मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजे गए अपने पत्र में यह कहा कि यह मामला पूरी तरह से 'सहानुभूति' से संबंधित है. उन्होंने प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि इस मामले को बिना किसी देरी के यमन के अधिकारियों के समक्ष उठाया जाए और निमिषा प्रिया की जान बचाने के लिए हस्तक्षेप किया जाए. मुख्यमंत्री ने इसके अलावा, केंद्र सरकार और विदेश मंत्री एस जयशंकर को 6 फरवरी और 24 मार्च 2025 को भेजे गए अपने पत्रों का भी उल्लेख किया, जिनमें उन्होंने पहले भी निमिषा की जान को बचाने की गुजारिश की थी.

    सुप्रीम कोर्ट में भी हो सकती है सुनवाई

    बता दें कि सुप्रीम कोर्ट सोमवार को उस याचिका पर सुनवाई करेगा, जिसमें केंद्र को एक भारतीय नर्स को बचाने के लिए राजनयिक माध्यमों का इस्तेमाल करने का निर्देश देने की मांग की गई है. नर्स को यमन में हत्या के आरोप में 16 जुलाई को फांसी दिए जाने की संभावना है. जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ इस मामले की सुनवाई कर सकती है. वकील सुभाष चंद्रन केआर द्वारा जल्द से जल्द राजनयिक माध्यमों की तलाश करने की बात कहने के बाद, इस मामले को 10 जुलाई को तत्काल सुनवाई के लिए भेजा गया था.

    उन्होंने दलील दी थी कि शरिया कानून के तहत मृतक के परिवार को ब्लड मनी के भुगतान की अनुमति दी जा सकती है. पीठ ने वकील से याचिका की कॉपी अटॉर्नी जनरल को देने को कहा और उनकी सहायता मांगी.

    जेल में है निमिषा

    बता दें कि केरल के पलक्कड़ जिले की 38 वर्षीय नर्स निमिषा प्रिया को 2017 में अपने यमनी व्यापारिक साझेदार की हत्या के लिए दोषी ठहराया गया था. इसके बाद उन्हें 2020 में मौत की सजा सुनाई गई थी और उसकी अंतिम अपील 2023 में खारिज कर दी गई थी. निमिषा वर्तमान में यमन की राजधानी सना की एक जेल में कैद है.

    निमिषा प्रिया के साथ क्या हुआ

    पलक्कड़ के कोल्लेंगोडे की मूल निवासी निमिषा प्रिया के खिलाफ मामले से जुड़ी घटना 2017 में हुई थी. यह मामला तलाल अब्दुल महदी नामक एक यमनी मूल निवासी की हत्या से संबंधित है.

    शादी के बाद निमिषा प्रिया साल 2012 में नर्स के तौर पर यमन चली गईं. उनके पति टॉमी भी काम के सिलसिले में यमन पहुंच गए थे. निमिषा की ज़िंदगी उस समय संकट में पड़ गई, जब उन्होंने यमनी नागरिक तलाल अब्दुल महदी के साथ मिलकर एक क्लीनिक शुरू की.

    क्लिनिक शुरू होने के बाद, उनके पति और बेटी घर लौट आए, लेकिन इसी बीच यमन में युद्ध छिड़ गया और निमिषा वापस नहीं लौट सकीं. इस तरह निमिषा उस यमनी नागरिक के जाल में फंस गईं.

    तलाल अब्दुल महदी ने निमिषा और एक अन्य यमनी लड़की को शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया. तलाल ने उनके पासपोर्ट भी ज़ब्त कर लिए. उसकी प्रताड़ना सहन न कर पाने के कारण निमिषा और उस यमनी महिला ने उन्हें नशीले इंजेक्शन देकर उनके पासपोर्ट लेकर भाग गईं. हालांकि, पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया और जेल में डाल दिया.

    इसी बीच, तलाल का शव उनके क्लीनिक से बरामद हुआ और उन पर हत्या का मुकदमा चलाया गया. निमिषा यमनी अदालत को यह विश्वास नहीं दिला पाई कि उसने तलाल की हत्या नहीं की थीं. इसके साथ ही निमिषा प्रिया को मौत की सजा और यमन की महिला को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई.

    निचली अदालत ने इसके खिलाफ निमिषा की अपील खारिज कर दी. हालांकि यमन ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने भी अपील खारिज कर दी. यहां यमनी सुप्रीम कोर्ट ने भी निमिषा को मिली मौत की सजा को बरकरार रखा और खून के पैसे को ही अंतिम कानूनी विकल्प के रूप में छोड़ दिया. 16 जुलाई को निमिषा को फांसी देने की तारीख तय की गई है.

    इसके साथ ही निमिषा की जान पर बन आई है. निमिषा प्रिया अब मौत की सजा से तभी बच पाएगी, जब मारे गए व्यक्ति के वारिस उसे माफ कर दें. या खून के बदले पैसा दिए जाएं.

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