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    Homeदेशसरकार की योजना: ई-वेस्ट शोधन के दौरान प्रदूषण बिल्कुल नहीं होगा

    सरकार की योजना: ई-वेस्ट शोधन के दौरान प्रदूषण बिल्कुल नहीं होगा

    नई दिल्ली।
    राजधानी दिल्ली में ई-वेस्ट के प्रबंधन को लेकर सरकार एक नई दिशा में कदम बढ़ा रही है। सरकार का लक्ष्य है कि कचरे के शोधन के दौरान वायु, जल और भूमि प्रदूषण पूरी तरह से रोका जाए। इसी उद्देश्य से दिल्ली सरकार ‘जीरो एमिशन ई-वेस्ट मैनेजमेंट पार्क’ की स्थापना की योजना पर काम कर रही है। इसके लिए नॉर्वे और हांगकांग जैसे देशों के सफल और न्यूनतम प्रदूषण वाले वेस्ट मैनेजमेंट मॉडलों का अध्ययन कराया जा रहा है।

    सरकार ने इस अध्ययन के लिए एक थर्ड पार्टी एजेंसी को ज़िम्मेदारी दी है, जो यह मूल्यांकन करेगी कि इन अंतरराष्ट्रीय मॉडलों को दिल्ली के संदर्भ में कितना प्रभावी और व्यावहारिक तरीके से लागू किया जा सकता है।

    गाजीपुर-भलस्वा में बढ़ता प्रदूषण बना बड़ी चुनौती

    वर्तमान में दिल्ली के गाजीपुर और भलस्वा जैसे लैंडफिल साइट्स पर भारी मात्रा में कचरे का शोधन किया जा रहा है, जिससे इन इलाकों में वायु, जल और भूमि प्रदूषण गंभीर स्तर पर पहुंच चुका है। स्थानीय निवासियों को जहरीली हवा में सांस लेनी पड़ रही है और दूषित पानी पीना मजबूरी बन गया है। दिल्ली सरकार इस स्थिति को खत्म करने के लिए वैकल्पिक और पर्यावरण-मित्र उपायों की ओर अग्रसर है।

    150 करोड़ की लागत से बनेगा आधुनिक ई-वेस्ट इको पार्क

    दिल्ली सरकार ने करीब 150 करोड़ रुपये की लागत से एक ग्रीन ई-वेस्ट इको पार्क विकसित करने की योजना बनाई है, जिसके लिए ग्लोबल टेंडर की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है। इस परियोजना की जानकारी देते हुए दिल्ली के उद्योग, पर्यावरण, वन एवं वन्य जीव मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि सरकार नॉर्वे और हांगकांग जैसे देशों की तर्ज पर शून्य प्रदूषण फैलाने वाले शहरी ई-वेस्ट प्रबंधन की व्यवस्था दिल्ली में लागू करना चाहती है।

    11.4 एकड़ में फैलेगा पार्क, मिलेगा रोजगार और आमदनी

    इस ग्रीन ई-वेस्ट इको पार्क को 11.4 एकड़ क्षेत्र में विकसित किया जाएगा, जिसमें हर साल 51,000 मीट्रिक टन से अधिक ई-वेस्ट का वैज्ञानिक तरीके से शोधन किया जाएगा। परियोजना से अनुमानित 350 करोड़ रुपये की आय अर्जित होने की उम्मीद है। पार्क के 33 प्रतिशत हिस्से में ग्रीन बेल्ट विकसित किया जाएगा, जो पर्यावरण को हरा-भरा बनाए रखने में सहायक होगा।

    हजारों ग्रीन नौकरियों के अवसर होंगे पैदा

    पार्क के जरिए ना केवल कीमती धातुओं की रिकवरी की जाएगी, बल्कि इससे हजारों ग्रीन जॉब्स भी उत्पन्न होंगे, जिससे स्थानीय युवाओं को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे।

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