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    गुजरात की डेयरी क्वीन मानीबेन: 1.94 करोड़ का दूध बेचने के बाद 100 नई भैंसों के साथ डेयरी व्यवसाय को देने जा रही नया आयाम

    अहमदाबाद: गुजरात के डेयरी ब्रांड अमूल की दुनिया भर में धाक है। अमूल के साथ राज्य में 10 दूध डेयरियां जुड़ी हैं। इन डेयरियों में लाखों पशुपालक दूध पहुंचाते हैं। गुजरात के सहकारिता क्षेत्र में क्रांति की नया चेहरा मानीबेन बनी हैं। बनासकांठा जिले से आने वाली मणिबेन ने एक साल (2024-25) में 1.94 करोड़ रुपये का दूध बेचा। नए साल में उन्होंने 3 करोड़ का दूध बेचने का लक्ष्य रखा है। मानीबेन के यहां गाय-भैंसों की संख्या 12 से बढ़कर 230 हो गई है। उन्होंने इस साल 100 नई भैंसें खरीदकर दूध उत्पादन और बढ़ाने का लक्ष्य तय किया है। गुजरात की 16,000 में से लगभग 4,150 समितियां महिलाओं द्वारा संचालित की जाती है। मानीबेन सहकारिता क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की नई मिसाल बनकर उभरी हैं।

    बनासकांठा में दूसरा स्थान मिला
    मानीबेन ने साला 2024-25 में 1 करोड़ 94 लाख रुपये का दूध संग्रहित कर बनासकांठा जिले में दूसरा स्थान प्राप्त किया है। अब वे अगले साल में 3 करोड़ रुपये का दूध बेचने का लक्ष्य प्राप्त करने की तैयारी कर रही हैं। कांकरेज तालुका के कसरा गांव की 65 साल की मानीबेन जेसुंगभाई चौधरी स्थानीय दि पटेलवास (कसरा) दुग्ध उत्पादक सहकारी मंडली में प्रतिदिन 1100 लीटर दूध जमा कराती हैं। वर्ष 2024-25 में उन्होंने कुल 3 लाख 47 हजार से अधिक लीटर दूध जमा कराया, जिसका मूल्य 1 करोड़ 94 लाख रुपये से अधिक हुआ है। अपनी इस उपलब्धि के कारण उन्हें इस वर्ष पूरे बनासकांठा जिले में 'श्रेष्ठ बनास लक्ष्मी' श्रेणी में द्वितीय स्थान प्राप्त हुआ। बनासकांठा के बादरपुरा में आयोजित आमसभा में उन्हें इस सफलता के लिए सम्मान पत्र प्रदान किया गया।

    नए टारगेट को खरीदीं 100 नई भैंसें
    मानीबेन अपनी इस सफलता को नई ऊंचाइयों तक ले जाना चाहती हैं। उनके परिवार में तीन बेटों में सबसे छोटे विपुलभाई ने बताया कि हमें बनास डेयरी से समय-समय पर उचित मार्गदर्शन मिल रहा है और हम इस क्षेत्र में लगातार आगे बढ़ रहे हैं। वर्ष 2011 में हमारे पास केवल 10 से 12 गाय और भैंस थीं, जिनकी संख्या अब बढ़कर 230 से अधिक हो गई है। वर्तमान में हमारे पास 140 भैंसें, 90 गायें और लगभग 70 छोटे बछड़े हैं। इस वर्ष हम 100 और भैंसें खरीदकर दूध उत्पादन को और बढ़ाना चाहते हैं। साल के अंत तक हम तीन करोड़ से अधिक मूल्य का दूध बेचने की तैयारी कर रहे हैं। मानीबेन के परिवार ने गायों और भैंसों की देखभाल के लिए शेड की व्यवस्था की है। उनके पास बन्नी, महेसाणी और मुर्राह नस्ल की भैंसें हैं, साथ ही एचएफ गायों के अलावा चार देशी कांकरेज नस्ल की गायें भी हैं।

    16 परिवारों को मिला रोजगार
    मानीबेन के पशुपालन कार्य से आज लगभग 16 परिवार जुड़े हुए हैं। मानीबेन, गाय और भैंसों के दूध दुहने के लिए आधुनिक मशीनों का उपयोग करती हैं। पशुपालन की पूरी प्रक्रिया में परिवार के सदस्य भी सक्रिय रूप से सहयोग करते हैं और आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रेरणा देते हैं। विपुलभाई के अनुसार कि हम तीनों भाई ग्रेजुएट हैं और हम सब इस कार्य में जुड़े हुए हैं। पशुपालन क्षेत्र से आय बढ़ने के कारण अब कई युवा भी इस काम में जुड़ने की प्रेरणा ले रहे हैं। राज्य के कुल 36 लाख से अधिक सदस्यों में 11 लाख से भी अधिक महिलाएं शामिल हैं। बनास डेयरी जैसी बड़ी डेयरियों में जहां प्रतिदिन लगभग 90 लाख लीटर दूध का संकलन होता है। मानीबेन की कहानी को राज्य के गृह मंत्री हर्ष संघवी ने भी साझा किया है।

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