जयपुर. जलवायु परिवर्तन के कारण मानव स्वास्थ्य को होने वाले खतरों से बचाव के लिए प्रदेश में राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केन्द्र की राज्य शाखा एवं जयपुर में मेट्रोपॉलिटियन सर्विलांस यूनिट की स्थापना की जाएगी। इससे प्रदेश में राष्ट्रीय स्तर की जांच सुविधाएं सुलभ होंगी और जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाली बीमारियों की सर्विलेंस, डेटा एनालिसिस, फीडबैक, आउटब्रेक, इन्वेस्टिगेशन एवं क्षमता संवर्द्धन में मदद मिलेगी। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर की अध्यक्षता में स्वास्थ्य भवन में आयोजित नेशनल प्रोग्राम ऑन क्लाइमेट चेंज एण्ड ह्यूमन हैल्थ पर गठित गवर्निंग बॉडी कमेटी की प्रथम मीटिंग में इस संबंध में विस्तृत विचार-विमर्श किया गया। खींवसर ने कहा कि आगामी समय में जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले दुष्प्रभावों का सामना करना चुनौतीपूर्ण होगा। इसे देखते हुए हमें विभिन्न विभागों के समन्वय से एक प्रभावी योजना तैयार कर आगे बढ़ना होगा। जलवायु परिवर्तन के कारण आने वाली आपदाओं एवं महामारी से निपटने के लिए प्रदेश में हैल्थ इमरजेंसी ऑपरेशन सेन्टर भी स्थापित किया जाएगा। यह एक अत्याधुनिक सेन्टर होगा, जिसमें आपदा के दौरान स्वास्थ्य से संबंधित विभिन्न समस्याओं के समाधान एवं महामारी से सुरक्षा के लिए हाईटेक प्रबंध होंगे। चिकित्सा मंत्री ने इन संस्थानों की स्थापना के कार्याें को गति देने के निर्देश दिए।
चिकित्सा संस्थानों के नए भवन होंगे ईको फ्रेंडली
मीटिंग में निर्णय लिया गया कि प्रदेश के सभी चिकित्सा संस्थानों के नए भवनों का निर्माण ईको फ्रेंडली तकनीक से किया जाएगा। इनमें जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न होने वाली समस्याओं से बचाव के लिए आवश्यक उपाय सुनिश्चित किए जाएंगे। प्रदेश के चिकित्सा संस्थानों को एनर्जी एफिशियेंट बनाने एवं कार्बन उत्सर्जन कम करने के उद्देश्य से एनर्जी ऑडिट करवाने तथा सोलर पैनल स्थापित करने की योजना बनाने के निर्देश बैठक में दिए गए। मीटिंग में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के मिशन निदेशक डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी, चिकित्सा शिक्षा आयुक्त इकबाल खान, निदेशक जनस्वास्थ्य डॉ. रवि प्रकाश माथुर, भारत सरकार के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. कौशल गुप्ता, अतिरिक्त निदेशक अस्पताल प्रशासन डॉ. सुशील परमार, अतिरिक्त निदेशक ग्रामीण स्वास्थ्य डॉ. प्रवीण असवाल, एनपीसीसीएचएच के राज्य नोडल अधिकारी डॉ. आर.एन. मीणा सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।