अहमदाबाद/नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पत्रकार महेश लांगा की जमानत याचिका पर गुजरात सरकार और प्रवर्तन निदेशालय (ED) से जवाब मांगा है। यह मामला एक कथित वित्तीय धोखाधड़ी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस का है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने लांगा की उस याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें उन्होंने गुजरात हाईकोर्ट द्वारा जमानत से इनकार किए जाने को चुनौती दी थी। सुनवाई के दौरान बेंच ने सवाल उठाया। यह किस तरह के पत्रकार हैं?
कुछ सच्चे पत्रकार होते हैं
बेंच ने वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल (याचिकाकर्ता की ओर से पेश) से कहा सम्मान सहित कहना चाहते हैं कि कुछ बहुत ही सच्चे पत्रकार होते हैं, लेकिन कुछ लोग होते हैं जो कहते हैं ‘हम पत्रकार हैं’, और वास्तव में वे क्या करते हैं, सबको पता है। इस पर सिब्बल ने जवाब दिया कि ये सभी केवल आरोप हैं। उन्होंने कहा कि एक एफआईआर में उन्हें अग्रिम जमानत मिलती है, फिर दूसरी एफआईआर दर्ज होती है। उसमें भी अग्रिम जमानत मिल जाती है, लेकिन अब उन पर तीसरी एफआईआर दर्ज हुई है आयकर चोरी को लेकर। इनके खिलाफ और भी बातें कही जा रही हैं। बेंच ने ने नोटिस जारी कर अधिकारियों से जवाब मांगा है।
हाईकोर्ट ने नहीं दी जमानत
31 जुलाई को गुजरात हाईकोर्ट ने लांगा की जमानत अर्जी यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि रिहाई से अभियोजन पक्ष के मामले को नुकसान पहुंचेगा। 25 फरवरी को ईडी ने कहा था कि उसने लांगा को कथित वित्तीय धोखाधड़ी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया है। इससे पहले, अक्टूबर 2024 में उन्हें जीएसटी धोखाधड़ी मामले में पहली बार गिरफ्तार किया गया था। लांगा के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला अहमदाबाद पुलिस की दो एफआईआर पर आधारित है। जिनमें धोखाधड़ी, आपराधिक गलत इस्तेमाल, आपराधिक विश्वासघात, ठगी और लोगों को लाखों रुपये का गैरकानूनी नुकसान पहुंचाने जैसे आरोप शामिल हैं।