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    Homeराजनीतियदि संपन्न हैं तो आरक्षण की क्या जरुरत: सुप्रिया सुले

    यदि संपन्न हैं तो आरक्षण की क्या जरुरत: सुप्रिया सुले

    मुंबई। सांसद सुप्रिया सुले ने कहा है कि यदि आर्थिक रुप से संपन्न हैं तो आरक्षण की क्या जरुरत है। उन्होंने खुद का उदाहरण देते हुए कहा कि, मेरे माता-पिता शिक्षित हैं। मैं एजुकेटेड हूं और मेरे बच्चे पढ़े-लिखे हैं। ऐसे में यदि मैं भी आरक्षण की मांग करती हूं तो मुझे इसको लेकर शर्म आनी चाहिए। हालांकि, सुप्रयिा सुले ने इस पर और अध्ययन करने और जाति के साथ ही आर्थिक आधार दोनों का एक प्रॉपर कॉम्बिनेशन तैयार कर उसके बेस पर आरक्षण देने की बात कही है। भारतीय राजनीति में आरक्षण हमेशा से ही सेंसिटिव इश्यू रहा है। इस लिहाज से सुप्रिया सुले का यह बयान काफी अहम है।
    इससे पहले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-एसपी के प्रमुख और सुप्रिया सुले के पिता शरद पवार ने आरक्षण मुद्दे पर बड़ा बयान दिया था। उन्होंने कहा कि देशभर में आरक्षण के मुद्दे को सुलझाने में केंद्र सरकार की भूमिका महत्वपूर्ण है। सरकार को संसद के जरिए संविधान में संशोधन कर आरक्षण पर फैसला लेना चाहिए। एनसीपी-एसपी के प्रमुख शरद पवार ने एक कार्यक्रम में कहा, आरक्षण के मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर उचित समय पर संविधान में संशोधन करके सुलझाना चाहिए। शरद पवार ने कहा कि आरक्षण के मुद्दे पर समाज में दरार पैदा हो रही है, जिससे समाज में कटुता और दुराव पैदा हो रही है।
    सुप्रिया सुले ने कहा कि आरक्षण जरूरतमंदों को मिलना चाहिए। देश में आरक्षण राजनीतिक रूप से संवेदनशील मुद्दा रहा है। दरअसल, सुप्रिया सुले से आरक्षण पर सवाल पूछा गया था। इस पर उन्होंने कहा कि सभी के लिए अवसर की समानता होनी चाहिए। सुप्रिया सुले ने कहा, आरक्षण उन्हें मिलना चाहिए जिनको सही मायने में इसकी जरूरत है। शरद पवार ने आरक्षण को लेकर तमिलनाडु का उदाहरण दिया था। प्रदेश में 72 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है। पवार ने कहा था, ‘अगर आरक्षण के मुद्दों को सुलझाना है, तो राष्ट्रीय स्तर पर ही निर्णय लिए जाने चाहिए। केंद्र सरकार को इस पर फैसला लेना होगा। अगर तमिलनाडु में 72 प्रतिशत आरक्षण दिया जा सकता है, तो उचित समय पर संविधान में संशोधन करके आरक्षण के मुद्दे को सुलझाने के लिए संसद में निर्णय लिया जाना चाहिए।’ बता दें कि देश के वंचित तबके को समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गई है। जाति के आधार पर रिजर्वेशन की सुविधा दी जा रही है। कुछ साल पूर्व केंद्र ने आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को भी आरक्षण के दायरे में लाया है। इस देश में कई बार इस बात को लेकर बहस चलती रहती है कि क्या कास्ट बेस्ड रिजर्वेशन उचित है या फिर इसे खत्म कर आरक्षण के लिए नया फॉर्मूला अपनाना चाहिए। मतलब आर्थिक आधार पर या फिर सिर्फ जरूरतमंदों को ही इसका लाभ मिल सके, जिसके लिए सरकार मानक तय करे। 

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