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    26/11 मुंबई हमले के बाद भारत के पास था सैन्य विकल्प, लेकिन अंतरराष्ट्रीय दबाव में नहीं लिया गया एक्शन – चिदंबरम

    नई दिल्ली। मुंबई में 26/11 के आतंकी हमले ने भारत को हिलाकर रख दिया था। पाकिस्तान आधारित लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने 175 लोगों की जान ले ली थी। इस हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई पर विचार किया, लेकिन अंतरराष्ट्रीय दबाव, खासकर अमेरिका के कहने पर भारत ने युद्ध की राह नहीं चुनी।

    यह खुलासा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और तत्कालीन गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने किया है। उनके इस बयान पर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने तीखा हमला बोला है।

    'दुनियाभर के नेताओं ने जंग न करने की सलाह दी'
    चिदंबरम ने एक न्यूज चैनल को बताया कि 26/11 के बाद भारत सरकार ने सैन्य जवाब देने पर गंभीरता से विचार किया था। लेकिन अमेरिका की तत्कालीन विदेश मंत्री कोंडोलीजा राइस समेत वैश्विक नेताओं ने भारत से युद्ध शुरू न करने की सलाह दी।

    चिदंबरम ने कहा, "पूरी दुनिया दिल्ली पर दवाब बना रही थी कि 'युद्ध मत शुरू करो'।" इस दबाव और विदेश मंत्रालय व भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) की सलाह के बाद सरकार ने सैन्य कार्रवाई को टाल दिया।

    चिदंबरम ने बताया कि हमले के दौरान ही तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ सैन्य कार्रवाई पर चर्चा हुई थी। उन्होंने कहा, "मेरे दिमाग में बदले की कार्रवाई का विचार आया था।" लेकिन राइस ने उनसे और प्रधानमंत्री से मुलाकात कर भारत को संयम बरतने को कहा। चिदंबरम ने स्पष्ट किया कि यह फैसला सरकार का था, लेकिन अंतरराष्ट्रीय दबाव और कूटनीतिक सलाह ने इसे प्रभावित किया।

    बीजेपी ने किया तंज
    इस बयान को लेकर बीजेपी ने तंज किया। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने चिदंबरम के इंटरव्यू का एक हिस्सा एक्स पर शेयर कर कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि ऑपरेशन सिंदूर भारत और पाकिस्तान के सैन्य कमांडर के बीच सीधी बातचीत का नतीजा था, न कि किसी तीसरे पक्ष, जैसे अमेरिका का।

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