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    टैरिफ और एच-1बी वीजा फीस पर जो भी हो भारत को जरुर करना चाहिए

    संघ प्रमुख भागवत बोले- हमें अपनी राह खुद तय करनी होगी

    नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए टैरिफ और एच-1बी वीजा फीस पर कहा कि भारत को इससे बाहर निकलने के लिए जो भी जरूरी हो करना चाहिए, लेकिन हम आंख मूंदकर आगे नहीं बढ़ सकते। उन्होंने कहा कि भारत और अन्य देशों के सामने आज जो समस्याएं हैं, वे पिछले दो हजार सालों से अपनाई गई उस व्यवस्था का नतीजा हैं, जो विकास और सुख की खंडित दृष्टि पर आधारित है। इसलिए हमें अपनी राह खुद तय करनी होगी।
    उन्होंने कहा कि हम इन हालात से निकलने का रास्ता ढूंढ लेंगे, लेकिन भविष्य में कभी न कभी हमें फिर ऐसे ही हालात का सामना करना पड़ेगा। क्योंकि इस खंडित दृष्टि में हमेशा ‘मैं और बाकी दुनिया’ या ‘हम और वे’ की सोच रहती है। उन्होंने कहा कि भारत को भविष्य में ऐसी समस्याओं से बचने के लिए अपना रास्ता खुद बनाना होगा। भागवत ने यह बात रविवार को दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान कही।
    आरएसएस प्रमुख ने किसी का नाम लिए बिना कहा कि तीन साल पहले अमेरिका के एक प्रमुख व्यक्ति से मुलाकात हुई थी। उन्होंने सुरक्षा, आतंकवाद-निरोध और अर्थव्यवस्था समेत कई क्षेत्रों में भारत-अमेरिका साझेदारी और सहयोग की संभावनाओं पर बात की, लेकिन हर बार उन्होंने यही दोहराया कि बशर्ते अमेरिकी हितों की रक्षा हो।
    उन्होंने कहा कि हर किसी के अलग-अलग हित हैं। इसलिए टकराव चलता रहेगा। जो ऊपर है, वही नीचे वालों को खा जाएगा। सिर्फ राष्ट्र हित ही मायने नहीं रखता। मेरा भी हित है। मैं सब कुछ अपने हाथ में चाहता हूं।
    भागवत ने कहा कि सिर्फ भारत ने ही पर्यावरणीय मुद्दों पर अपनी सभी प्रतिबद्धताओं को पूरा किया है और किसने कीं? क्योंकि कोई प्रामाणिकता नहीं है। अगर भारत विश्वगुरु बनना चाहता है, तो उसे अपने दृष्टिकोण के आधार पर अपना रास्ता खुद बनाना होगा।
    अगर हम इसे प्रबंधित करना चाहते हैं, तो हमें अपने दृष्टिकोण से सोचना होगा। सौभाग्य से हमारे देश का दृष्टिकोण पारंपरिक है, जीवन के प्रति यह दृष्टिकोण पुराना नहीं है, यह सनातन है। यह हमारे पूर्वजों के हजारों सालों के अनुभवों से बना है।

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