मुंबई। महायुति सरकार के राज में महाराष्ट्र में संवेदनहीनता चरम पर पहुंच गई है। स्मार्ट सिटी और नया भारत बनाने की बात करनेवाली सरकार करोड़ों रुपए की रोड और हाईवे तो बना रही है, लेकिन उसे असली भारत (गांवों) की चिंता नहीं है। आलम यह है कि कई गांवों में सड़कें न होने के कारण आज भी मरीजों को कंधों पर टांगकर या कपड़े की डोली में डालकर अस्पताल पहुंचाया जाता है। ठीक ऐसा ही दिल दहला देनेवाला एक मामला भिवंडी, शाहपुर तालुका के चाफेवाड़ी में सामने आया है। यहां सड़क के अभाव में एक गर्भवती महिला को कपड़े की डोली में लिटाकर अस्पताल ले जाना पड़ा, इसे लेकर प्रशासन और महायुति सरकार की हर जगह निंदा हो रही है।
बता दें कि शाहपुर तालुका के नडगांव ग्राम पंचायत के अंतर्गत आने वाले चाफेवाड़ी गांव में सड़क के अभाव के कारण ग्रामीणों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। सोमवार २३ जून दोपहर लगभग डेढ़ बजे गर्भवती महिला संगीता मुकने को अस्पताल ले जाना था, जहां पर अच्छी और बड़ी सड़क न होने के कारण परिवार को डोली का सहारा लेना पड़ा।
सड़क न होने से नहीं पहुंचा एंबुलेंस
गांव से एंबुलेंस तक पहुंचने के लिए एक किलोमीटर दूर खेत से होकर जाने वाला रास्ता बंद था इसलिए महिला को चाफेवाड़ी-डोंगरीवाड़ी के वर्तमान में उपयोग किए जा रहे दो किलोमीटर लंबे और दुर्गम रास्ते से कपड़े की डोली में डालकर ले जाया गया। हालांकि, एंबुलेंस गांव के पास गायदंड रोड तक पहुंच गई थी, लेकिन पक्की सड़क न होने के कारण महिला को समय पर चिकित्सा सहायता नहीं मिल पाई।
प्रशासन की लापरवाही दर्शाती मार्मिक घटना
गर्भावस्था में सही समय पर अस्पताल नहीं पहुंचने के कारण संगीता मुकने को दौरे पड़ने लगे, जिससे उनकी तबीयत बिगड़ गई। उन्हें तुरंत ठाणे सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया है। यह घटना प्रशासन की लापरवाही और अनदेखी को साबित करती है। स्थानीय नागरिकों ने राज्य सरकार और प्रशासन से पक्की सड़क और बुनियादी सुविधाओं के लिए बार-बार अनुरोध किया है, लेकिन अब तक उनकी इस मूलभत मांग को लेकर सरकार की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।