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    लापरवाही पड़ी भारी: लगातार दो बार हुआ टाइफाइड, डॉक्टर ने दी सख्त चेतावनी

    गर्मियों का समय छुट्टियों और मस्ती का वक्त होता है, मगर एक छोटे लड़के के लिए यह अचानक बुरे सपने जैसा बन गया। शुरुआत में उसे बुखार हुआ और टाइफाइड बताया गया, लेकिन यह मामला ड्रग रेजिस्टेंट 'सुपरबग्स' की वजह से तेजी से खतरनाक बन गया। डॉ. सुशीला कटारिया ने बताया कि एंटीबायोटिक दवाओं का गलत इस्तेमाल स्वास्थ्य के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण बन गया है। यह वो गलती है, जो पढ़े लिखे लोग भी करने से बाज नहीं आ रहे हैं। जरा सा बुखार हुआ नहीं और बिना सोचे समझे एंटीबायोटिक गटक ली।

    बार-बार होने वाले संक्रमण का मामला

    एक लड़के में शुरुआत में टाइफाइड के आम लक्षण दिख रहे थे, जिसका उसे इलाज दिया गया। लेकिन कुछ ही दिनों में, बुखार और कमजोरी फिर से लौट आई। जांच से पता चला कि इस बार बीमारी एक ऐसे बैक्टीरिया के कारण हुई थी जो पहले इस्तेमाल की गई एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति प्रतिरोधी था। मतलब कि पहला इलाज बेअसर हो गया। जिसके बाद यह मामला गुरुग्राम स्थित मेदांता के इंटरनल मेडिसिन की वाइस चेयरमैन डॉ. सुशीला कटारिया के पास आया।

    एंटीबायोटिक ड्रग रेजिस्टेंट
    यह स्थिति तेजी से आम होती जा रही है। एंटीबायोटिक दवाओं का गलत इस्तेमाल ऐसे 'सुपरबग्स' यानी बैक्टीरिया को जन्म दे रहा है जो कई दवाओं के प्रति प्रतिरोधी हैं, मतलब इन दवाओं का इनपर कोई असर नहीं होता। एंटीबायोटिक का हर गलत या अधूरा इस्तेमाल – चाहे वह वायरल इन्फेक्शन के लिए हो या दवा का पूरा कोर्स ना करना हो, बैक्टीरिया को खुद को ढालने और विकसित होने का मौका देता है।

    सुपरबग्स होते हैं रेजिस्टेंट बैक्टीरिया

    संवेदनशील बैक्टीरिया खत्म हो जाते हैं, जिससे प्रतिरोधी बैक्टीरिया (resistant strains) बढ़ने लगते हैं। ये "सुपरबग्स" फिर फैलते हैं, जिससे आम संक्रमणों का इलाज करना बेहद मुश्किल और कभी-कभी नामुमकिन हो जाता है। बच्चे को बार-बार टाइफाइड होना इसका सीधा उदाहरण है।

    कैसे हुआ बच्चे का इलाज?

    शुरुआती एंटीबायोटिक दवाएं प्रतिरोधी बैक्टीरिया के खिलाफ बेअसर साबित हो चुकी थी, इसलिए अधिक शक्तिशाली और संभावित रूप से अधिक हानिकारक इलाज के तरीके खोजने पड़े। इसके लिए बच्चे को अस्पताल में भर्ती करवाया गया। एक लंबे और कॉम्प्लैक्स ट्रीटमेंट के बाद लड़का आखिरकार ठीक हो गया। हालांकि उसका शरीर कमजोर हो गया  था, मगर रेजिस्टेंट बैक्टीरिया खत्म हो गए थे।

    सोच समझकर लें एंटीबायोटिक

    ​एंटीबायोटिक दवाओं का सोच समझकर सेवन करना चाहिए और डॉक्टर की सलाह के बिना कभी ना करें। यह समझना जरूरी है कि एंटीबायोटिक दवाएं हर बीमारी का इलाज नहीं हैं और दी गई सभी दवाओं का कोर्स पूरा करना जरूरी है। साथ ही दवा देने से पहले बैक्टीरियल इंफेक्शन की पुष्टि के लिए सही जांच महत्वपूर्ण है। साफ सफाई और वैक्सीनेशन की मदद से इन सुपरबग्स को रोकने में मदद मिलती है।

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