व्यापार: मेक इन इंडिया की 11वीं वर्षगांठ के अवसर पर कंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने इसकी उपलब्धियों पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इस विजन ने भारत को वैश्विक विनिर्माण महाशक्ति में बदल दिया है। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा 2014 में शुरू की गई मेक इन इंडिया पहल का उद्देश्य देश के औद्योगिक आधार को पुनर्जीवित करना और देश को एक वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाना था।
यह उपलब्धियां दर्शाती हैं कि भारत कितनी दूर आ गया है
गोयल ने सोशल मीडिया एक्स पोस्ट में कहा कि इन वर्षों में रिकॉर्ड एफडीआई प्रवाह, व्यापार करने में आसानी में व्यापक सुधार, वैश्विक स्तर पर दूसरे सबसे बड़े मोबाइल निर्माता के रूप में हमारी उन्नति, निर्यात में तेजी और रक्षा उत्पादन का विस्तार, ये सभी दर्शाते हैं कि हम कितनी दूर आ गए हैं।
स्टार्टअप में युवा और महिला उद्यमियों की भूमिका
इस औद्योगिक पुनरुद्धार की आधारशिला उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना रही है। इसे गोयल ने कई क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर निवेश और रोजगार सृजन का श्रेय दिया।
उन्होंने युवा और महिला उद्यमियों की ऊर्जा से प्रेरित भारत के फलते-फूलते स्टार्टअप इकोसिस्टम पर भी प्रकाश डाला। इसने देश को दुनिया के तीसरे सबसे बड़े नवाचार केंद्र के रूप में स्थापित किया है। गोयल ने इस आंदोलन के पीछे जमीनी स्तर की ताकत को रेखांकित करते हुए कहा कि यह यात्रा हमारे उद्योग, एमएसएमई, स्टार्टअप, उद्यमियों और हर उस नागरिक के सामूहिक प्रयास से संभव हो पाई है, जो अपने दिल में स्वदेशी की भावना रखते हैं।
मेक इन इंडिया का अगला चरण नया अध्याय लिखेगा
गोयल ने विश्वास व्यक्त किया कि मेक इन इंडिया का अगला चरण एक नया अध्याय लिखेगा। यह आत्मनिर्भर और विकसित भारत के माध्यम से वैश्विक नेतृत्व का अध्याय होगा।
इस पहल की परिकल्पना ऐसे समय में की गई थी जब भारत की आर्थिक वृद्धि में तेजी से गिरावट आई थी। देश को अपने विकास पथ को बनाए रखने में गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था।
मेक इन इंडिया 2.0 में 27 सेक्टर्स शामिल
'मेक इन इंडिया' को भारत को विनिर्माण के एक वैश्विक केंद्र में बदलने के लिए डिजाइन किया गया था। इसके मुख्य उद्देश्य निवेश को सुगम बनाना, नवाचार को प्रोत्साहित करना और विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचा विकसित करना थे। अग्रणी 'वोकल फॉर लोकल' पहलों में से एक के रूप में, इसका उद्देश्य न केवल भारत की विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ावा देना था, बल्कि वैश्विक मंच पर इसकी औद्योगिक क्षमता को प्रदर्शित करना भी था।
भारत की आर्थिक रफ्तार को नई ऊंचाई देने के लिए "मेक इन इंडिया 2.0" पहल अब 27 सेक्टर्स को शामिल करते हुए आगे बढ़ रही है। इसका लक्ष्य न केवल मजबूत विनिर्माण सेक्टर तैयार करना है, बल्कि देश की विशाल युवा आबादी के लिए रोजगार के नए अवसर भी पैदा करना है।