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    मध्य प्रदेश में पौधारोपण को मिलेगी नई दिशा, तकनीक से तय होगी उपयुक्त जमीन

    भोपाल। मध्य प्रदेश में अब पौधारोपण से पहले जमीन की गुणवत्ता और पानी की उपलब्धता पता की जाएगी। उसके बाद ही पौधारोपण किया जाएगा। इसके लिए एक सॉफ्टवेयर डेवलप किया गया है। जिसका नाम सॉफ्टवेयर फॉर आईडेंटिफिकेशन एंड प्लानिंग ऑफ रूरल इंफ्रास्ट्रक्चर ( सिपरी ) रखा गया है। मनरेगा परिषद इस एप द्वारा पहले जीआईएस से लोकेशन सर्च करेगी। जो वहां की जलवायु, भौगोलिक स्थिति, मिट्टी की संरचना और कौन-से पौधे यहां चलेंगे इसकी जानकारी देगा। इसके बाद ही पौधे लगाए जाएंगे।

    सैटेलाइट इमेज के माध्यम से मौके की मॉनिटरिंग

    मनरेगा परिषद के आयुक्त अवि प्रसाद ने बताया कि सही लोकेशन पर सही पौधे लगाने से वे विकसित हो सकेंगे। अब तक बिना मापदंड के पौधरोपण हो रहा था, लेकिन ज्यादातर मॉनीटरिंग और जलवायु के अनुसार नहीं होने से नष्ट हो जाते थे। अब सैटेलाइट इमेज के माध्यम से मौके की मॉनिटरिंग भी की जाएगी। सिपरी सॉफ्टवेयर को मध्यप्रदेश राज्य रोजगार गारंटी परिषद और इसरो की मदद से डेवलप किया है। इसका उपयोग अभी तक सिर्फ जल संरक्षण परियोजनाओं में हो रहा था। अब पौधरोपण भी वैज्ञानिक पद्धतियों का उपयोग और डेटा विश्लेषण के आधार पर होगा।

    ऐसे काम करेगा यह एप

    1- एप सैटेलाइट की मदद से पौधरोपण वाले स्थान की तस्वीर लेकर उसका विश्लेषण करेगा।
    2- मौसम का पूर्वानुमान बताएगा। किस जगह पर्याप्त बारिश हुई है, यहां कौन-से पौधे लगेंगे। उनके लिए मिट्टी में पर्याप्त नमी है या नहीं।
    3- कितने पौधे किस पद्धति से लगाए जाएंगे, इसकी भी अपडेट देगा।
    4- जीयो टैग होने के बाद उसकी ऑनलाइन मॉनिटरिंग भी हो सकेगी।

    करोड़ों खर्च करने के बाद भी पौधे जाते हैं सूख

    गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में मनरेगा योजना के तहत हर साल पंचायतें पौधे लगाती हैं। इसमें मैन्युअल ही जानकारी दी जाती है कि यहां इतने पौधे लगाए हैं। जब जनप्रतिनिधि निरीक्षण पर पहुंचते तो जितने पौधे लगाना बताए जाते उतने नहीं मिलते। पूछने पर कहा जाता है कि कुछ पौधे चले नहीं। मॉनिटरिंग भी सही तरीके से नहीं हो पाती। ऐसे में करोड़ों खर्च करने के बाद भी पौधरोपण सफल नहीं हो रहा। सिपरी की मदद से पौधरोपण की वस्तुस्थिति जानने इंजीनियरों के भरोसे नहीं रहना होगा।

    16 जिलों में किया जा रहा पौधारोपण

     नर्मदा परिक्रमा पथ पर स्थित आश्रय स्थलों के लगभग 233 स्थानों की लगभग 1000 एकड़ भूमि पर 43 करोड़ रुपए से अधिक की लागत से लगभग 7.50 लाख पौधों का रोपण किया जा रहा है। पौधरोपण का कार्य 15 जुलाई मंगलवार से शुरू किया गया है। जो 15 अगस्त तक चलेगा। मां नर्मदा आश्रय स्थलों पर जिन जिलों में पौधरोपण किया जाएगा, उन 16 जिलों में अनूपपुर, डिंडोरी, मण्डला, जबलपुर, नरसिंहपुर, सिवनी, बड़वानी, अलीराजपुर, धार, नर्मदापुरम, रायसेन, सीहोर, हरदा, देवास, खंडवा एवं खरगोन शामिल हैं।

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