किसी बड़ी कंपनी का ऊंचा पद, शानदार सैलरी और दुनिया की तमाम सुख सुविधाएं. आमतौर पर लोग इसी जीवन को पाने की कोशिश करते हैं. लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं जो सब कुछ होते हुए भी भीतर की शांति की तलाश में निकल पड़ते हैं. ‘प्रकाश शाह’ ऐसे ही एक व्यक्ति हैं, जिन्होंने रिलायंस इंडस्ट्रीज में वाइस प्रेसिडेंट जैसे अहम पद और सालाना 75 करोड़ रुपये की सैलरी को छोड़कर संन्यास का रास्ता चुना.
महावीर जयंती पर लिया दीक्षा का फैसला
प्रकाश शाह और उनकी पत्नी नैन शाह ने महावीर जयंती के मौके पर दीक्षा लेकर साधु जीवन अपना लिया. इस दीक्षा के बाद उन्होंने न केवल सांसारिक सुखों का त्याग किया, बल्कि अपने पुराने नाम और पहचान को भी छोड़ दिया. अब वह जैन साधु के रूप में वैराग्य, तप और आत्मअनुशासन के मार्ग पर चल रहे हैं.
रिलायंस में था बड़ा ओहदा
शाह रिलायंस इंडस्ट्रीज में वाइस प्रेसिडेंट थे और कंपनी के कई बड़े फैसलों में उनकी अहम भूमिका थी. खास तौर पर पेटकोक मार्केटिंग और जामनगर की गैसीफिकेशन परियोजना जैसे क्षेत्रों में उनका योगदान सराहनीय रहा. उनकी पहचान एक कुशल प्रबंधक और रणनीतिकार के रूप में थी, जिनका भरोसा खुद मुकेश अंबानी भी करते थे.
IIT बॉम्बे से पढ़ाई, केमिकल इंजीनियरिंग में महारत
प्रकाश शाह ने आईआईटी बॉम्बे से पढ़ाई की है और वह एक केमिकल इंजीनियर हैं. पढ़ाई के बाद उन्होंने कॉर्पोरेट दुनिया में कदम रखा और मेहनत के बल पर खुद को ऊंचे ओहदे तक पहुंचाया. लेकिन इतने बड़े मुकाम पर पहुंचने के बाद भी उनके भीतर कुछ खालीपन था, जिसे वह सांसारिक साधनों से भर नहीं पाए.
साधु जीवन की ओर झुकाव पहले से था
शाह के करीबी लोगों का कहना है कि उन्हें वर्षों से जैन दर्शन और आत्मिक शांति में गहरी रुचि थी. वे कई बार धर्म और ध्यान से जुड़े आयोजनों में शामिल होते थे. धीरे धीरे यह झुकाव इतना मजबूत हो गया कि उन्होंने अपने पूरे जीवन की दिशा ही बदल दी. सोशल मीडिया पर उनकी तस्वीरें वायरल हो रही हैं, जिसमें वह सफेद कपड़े पहने, नंगे पैर चलते हुए और बिना किसी विलासिता के नजर आ रहे हैं.
अब कैसी है उनकी दिनचर्या
साधु बनने के बाद प्रकाश शाह अब बेहद सादा जीवन जी रहे हैं. वह ब्रह्मचर्य का पालन कर रहे हैं, भिक्षा से जीवन यापन करते हैं और दिन का अधिकांश समय ध्यान, स्वाध्याय और सेवा में बिताते हैं. उन्होंने मोबाइल, गाड़ी, एसी ऑफिस, आलीशान घर और सभी प्रकार की सुविधा छोड़ दी है.
प्रेरणा देने वाली कहानी
प्रकाश शाह की कहानी उन लोगों के लिए एक गहरा संदेश है जो यह मानते हैं कि पैसा और पद ही सब कुछ हैं. उन्होंने दिखाया कि असली खुशी भीतर की शांति में है, न कि भौतिक चीजों में. उनका यह कदम न केवल जैन धर्म के मूल विचारों को दर्शाता है, बल्कि उन सभी के लिए एक प्रेरणा है जो जिंदगी में गहराई से कुछ तलाश रहे हैं.