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    सड़क दुरुस्त करो या टोल वसूली रोक दो – सुप्रीम कोर्ट

    राजस्थान: सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट के उस फैसले की पुष्टि की है, जिसमें साफ कहा गया था कि यदि हाईवे की स्थिति बेहद खराब है तो भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) यात्रियों से टोल वसूली के लिए बाध्य नहीं कर सकता. 

    चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ ने एनएचएआई की अपील खारिज करते हुए कहा कि जब तक सड़कें सही हालत में नहीं होंगी, तब तक यात्रियों से टोल वसूली का कोई औचित्य नहीं है.

    केरल हाईकोर्ट ने इससे पहले त्रिशूर जिले के पलियाक्कारा में एनएच-544 पर खराब सड़क की वजह से टोल वसूली पर रोक लगा दी थी. अब सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे बरकरार रखते हुए साफ कर दिया है कि खराब सड़कों पर यात्रियों से टोल लेना न्यायोचित नहीं है.

    जोधपुर से पाली हाईवे की जमीनी हकीकत
    सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद जोधपुर से पाली जाने वाले नेशनल हाईवे पर टोल प्लाजा का ग्राउंड जीरो रिपोर्ट किया. इस दौरान हाईवे की वास्तविक तस्वीर सामने आई, कई जगह सड़कें गड्ढों से भरी पड़ी हैं. सड़क किनारे सुविधाओं का घोर अभाव है.

    जगह-जगह आवारा पशु हाईवे पर आ जाते हैं, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है. वाहन चालकों का कहना है कि फास्ट टैग काम नहीं करने पर उनसे डबल राशि वसूली जाती है.

    वाहन चालकों का दर्द
    जगदीश नामक एक वाहन चालक ने बताया – “जब भी हम हाईवे पर जाते हैं तो कई जगह गड्ढे होते हैं. कई बार शिकायत भी की, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है. गड्ढों और खराब सड़क के कारण कई दुर्घटनाएं हो चुकी हैं.”

    अब उम्मीदें बढ़ीं
    सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से जोधपुर-पाली, जोधपुर बाड़मेर , जोधपुर जैसलमेर, जोधपुर जयपुर व जोधपुर नागौर हाईवे से गुजरने वाले हजारों यात्रियों में उम्मीद जगी है कि खराब सड़कों पर टोल वसूली पर अब सवाल खड़े होंगे और प्रशासन को मजबूरी में सड़कें दुरुस्त करनी होंगी.

    न्यायालय ने स्पष्ट किया कि नागरिकों को उन सड़कों पर चलने का हक है, जिनका कर वे पहले ही भर चुके हैं. उन्हें खराब सड़कों से गुजरने के लिए अलग से पैसे देने को मजबूर नहीं किया जा सकता.

    मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई ने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्गों पर गटर, गड्ढे और जाम प्रशासनिक विफलता दर्शाते हैं. बेंच ने बताया कि हाईवे का छोटा सा हिस्सा खराब होने पर भी यात्रा घंटों लंबी हो जाती है. बेंच ने पूछा कि एक घंटे की दूरी के लिए 12 घंटे क्यों लगें. उन्होंने कहा कि यह जनता के साथ नाइंसाफी है. ऐसे में टोल लेना सही नहीं ठहराया जा सकता.

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