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    कम नामांकन वाले विद्यालय बनेंगे बाल वाटिका, सभी जिलों से मांगी गई सूची… तीन-चार दिनाें में आएगी रिपोर्ट

     बेसिक शिक्षा विभाग ने इस शैक्षणिक सत्र में उन विद्यालयों का विलय करने की प्रक्रिया तेज कर दी है, जिनमें नामांकन बेहद कम है। खासतौर से, जहां कुल छात्र संख्या 50 से कम है, ऐसे स्कूलों को पास के किसी बेहतर स्कूल में जोड़ा जा रहा है। 

    विभाग का कहना है कि इससे छात्रों को बेहतर शिक्षण माहौल, आधारभूत ढांचा और स्मार्ट क्लास जैसी सुविधाएं मिल सकेंगी। सभी जिलों से ऐसे स्कूलों की सूची मंगाई गई है और अगले तीन-चार दिनों में पूरी रिपोर्ट आ जाएगी। 

    गुरुवार को हुई बैठक में योजना की प्रगति की समीक्षा की गई। शासन की पेयरिंग नीति यानी के तहत विलय किए गए स्कूल भवनों को बाल वाटिका के रूप में विकसित किया जाएगा, जहां तीन से छह साल तक के बच्चों की पढ़ाई होगी। 

    केंद्र सरकार की गाइडलाइन के अनुसार, किसी स्कूल में आइसीटी लैब और स्मार्ट क्लास की सुविधा तभी मिल सकती है, जब वहां कम से कम 75 विद्यार्थी हों। छोटे स्कूलों का विलय इसी दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। 

    बेसिक शिक्षा विभाग की राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत बाल वाटिकाओं को सशक्त बनाने की योजना है। पिछले साल 10 हजार ईसीसीई एजुकेटर नियुक्त किए गए थे और इस बार भी इतने ही नए एजुकेटर तैनात किए जाएंगे। इन बाल वाटिकाओं में बच्चों को चाइल्ड फ्रेंडली फर्नीचर, आउटडोर खेल सामग्री और कार्य पुस्तिकाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। 

    हालांकि, कुछ शिक्षक संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस फैसले पर आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि इससे ग्रामीण इलाकों में बच्चों की स्कूल तक पहुंच प्रभावित हो सकती है। इस पर विभागीय अधिकारियों का कहना है कि जिलों से इस पहल को लेकर सकारात्मक संकेत मिले हैं।

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