समृद्ध भारत अभियान के निदेशक सीताराम गुप्ता ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर सेक्टर-13 भूखंड घोटाले की निष्पक्ष जांच व दोषी अधिकारियों को एपीओ करने की मांग की।
मिशनसच न्यूज, भरतपुर।
भरतपुर के सेक्टर-13 कॉलोनी में हुए बहुचर्चित भूखंड घोटाले की परतें अब धीरे-धीरे खुलने लगी हैं। इस मामले में समृद्ध भारत अभियान संस्था के निदेशक श्री सीताराम गुप्ता ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इस घोटाले की निष्पक्ष एवं गहन जांच की मांग की है। साथ ही उन्होंने इस घोटाले में संलिप्त अधिकारियों को तत्काल एपीओ कर कड़ी अनुशासनात्मक कार्यवाही की मांग की है।
गुप्ता ने मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में स्पष्ट किया है कि सेक्टर-13 में भूमि आवंटन प्रक्रिया में भारी अनियमितताएं सामने आई हैं, जिसमें कई गरीबों को उनके हक से वंचित कर दिया गया है। गुप्ता ने आरोप लगाया कि इस घोटाले में शामिल अधिकारी प्रभावशाली हैं और वे जांच प्रक्रिया को प्रभावित करने की स्थिति में हैं। ऐसे में निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए पहले इन अधिकारियों को एपीओ किया जाना चाहिए ताकि वे किसी भी तरह से सबूतों को नष्ट या प्रभावित न कर सकें।
गरीबों के साथ अन्याय, भूखंड लौटाने की मांग
गुप्ता ने पत्र में यह भी लिखा कि जिन गरीबों के भूखंड हड़प लिए गए हैं, उन्हें दोबारा भूखंड आवंटित किया जाए ताकि वे अपने आशियाने का सपना साकार कर सकें। इस घोटाले ने गरीब वर्ग की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है और शासन की जवाबदेही को कठघरे में खड़ा कर दिया है।
अन्य कॉलोनियों की भी जांच की आवश्यकता
पत्र में उन्होंने यह भी सुझाव दिया है कि केवल सेक्टर-13 ही नहीं, बल्कि नगर विकास न्यास की अन्य कॉलोनियों की भी जांच कराई जाए। गुप्ता का मानना है कि यह एक सुनियोजित घोटाला हो सकता है जो अन्य क्षेत्रों में भी फैला हो।
राजनैतिक दबाव की आशंका, लेकिन जांच हो निष्पक्ष
उन्होंने इस बात की भी आशंका जताई कि इस मामले में जांच के दौरान राजनैतिक दबाव डाला जा सकता है। लेकिन सरकार को चाहिए कि वह लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करते हुए दबाव रहित, पारदर्शी और निष्पक्ष जांच करवाए। उन्होंने यह भी कहा कि अगर इस मामले में शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई तो आमजन का सरकार पर से विश्वास डगमगा सकता है।
लोकतंत्र में पारदर्शिता की कसौटी पर खरा उतरना जरूरी
सीताराम गुप्ता का कहना है कि यह मामला केवल एक कॉलोनी का नहीं है, बल्कि लोक प्रशासन की पारदर्शिता और ईमानदारी की कसौटी है। यदि समय रहते दोषियों को सजा नहीं दी गई तो यह भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाला एक खतरनाक उदाहरण बन सकता है।