जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव मोहन लाल सोनी ने किशनगढ़ बास उपकारागृह का निरीक्षण कर बंदियों को मिलने वाली सुविधाओं का जायजा लिया।
मिशनसच न्यूज, किशनगढ़बास ।
राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जयपुर तथा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, अलवर के दिशा-निर्देशों के अनुपालन में बुधवार को एक महत्वपूर्ण औचक निरीक्षण का आयोजन किया गया। इस दौरान जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अलवर के सचिव श्री मोहनलाल सोनी ने किशनगढ़ बास स्थित उपकारागृह (सब-जेल) में बंदियों को दी जा रही मूलभूत सुविधाओं एवं व्यवस्थाओं का प्रत्यक्ष निरीक्षण किया।
निरीक्षण के दौरान सचिव सोनी ने उपकारागृह अधिकारियों से बंदियों की रहन-सहन, सुरक्षा, भोजन, चिकित्सा सेवाओं, साफ-सफाई, शौचालय, और कानूनी सहायता जैसी महत्वपूर्ण आवश्यकताओं की जानकारी ली। उन्होंने जेल परिसर में घूमकर सभी व्यवस्थाओं को देखा और व्यक्तिगत रूप से 190 बंदियों से संवाद भी किया।
निरीक्षण के दौरान कई बंदियों ने चिकित्सा सुविधाओं में कमी, कानूनी सलाह न मिलने और दैनिक उपयोग की वस्तुओं की अनुपलब्धता से संबंधित समस्याएं साझा कीं। इस पर सचिव ने तुरंत प्रशासन को निर्देश दिए कि प्रत्येक बंदी को उनका कानूनी अधिकार दिलाने हेतु निःशुल्क विधिक सहायता योजनाओं के तहत जल्द से जल्द अधिवक्ता उपलब्ध कराएं।
सचिव ने यह भी कहा कि जो बंदी विधिक सहायता प्राप्त करने के पात्र हैं, उन्हें प्राधिकरण की ओर से तुरंत सहायता दी जाए, ताकि उनका न्यायालयीन कार्य समय पर पूर्ण हो सके। इसके साथ ही उन्होंने चिकित्सा सेवाओं की गुणवत्ता को बेहतर बनाने, साफ-सफाई में सुधार करने और मानसिक स्वास्थ्य पर भी विशेष ध्यान देने की बात कही।
श्री सोनी ने जेल प्रशासन को निर्देश दिया कि यदि किसी बंदी को गंभीर बीमारी है या मानसिक तनाव में है तो उसे उचित चिकित्सा एवं परामर्श तुरंत उपलब्ध कराना चाहिए। यह भी सुनिश्चित किया जाए कि बंदियों को समय पर भोजन, वस्त्र और स्वच्छ जल मिले।
निरीक्षण के अंत में श्री सोनी ने कहा – “यह निरीक्षण केवल व्यवस्थाओं की जांच तक सीमित नहीं है, बल्कि यह मानवाधिकारों की रक्षा और न्याय तक हर व्यक्ति की पहुंच सुनिश्चित करने की दिशा में एक प्रतिबद्ध कदम है। विधिक सेवा प्राधिकरण का उद्देश्य यह है कि हर बंदी को न्याय मिले और उसे मूलभूत सुविधाएं मिलें।”
इस मौके पर जेल अधीक्षक, जेलर, अन्य सुरक्षा कार्मिक व प्राधिकरण की टीम भी उपस्थित रही। समग्र रूप से यह निरीक्षण बंदियों के कल्याण, अधिकारों की रक्षा और पारदर्शिता लाने की दिशा में एक सराहनीय पहल के रूप में देखा गया।