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    मध्यप्रदेश में केंद्र सरकार की योजनाओं में भ्रष्टाचार का घिनौना खेल उजागर, मुख्यमंत्री की बेशर्मी पर सवाल : जीतू पटवारी

    भोपाल, 11 जून 2025 : मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने मोदी सरकारके 11 वर्ष पूरे होने पर केंद्र सरकार की मध्यप्रदेश में संचालित योजनाओं में भ्रष्टाचार को लेकर बड़ा हमला बोला है। एक दिन पूर्व मुख्यमंत्री मोहन यादव ने मोदी सरकार की उपलब्धियाँ बताई थीं, अब कांग्रेस अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री मोहन यादव के फर्जी दावों की पोल खोल कर रख दी है। जीतू पटवारी ने कहा कि मध्यप्रदेश में केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाएं, जो गरीबों, किसानों और ग्रामीण जनता के उत्थान के लिए शुरू की गई थीं, भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी हैं। जल जीवन मिशन से लेकर स्वच्छ भारत मिशन और आयुष्मान भारत जैसी योजनाओं में अरबों रुपये का गबन, फर्जी बिलिंग, और कागजी प्रगति का घिनौना खेल सामने आया है। शर्मनाक बात यह है कि मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बड़ी बेशर्मी से मोदी सरकार के 11 साल की उपलब्धियों का बखान किया, जबकि हकीकत यह है कि मध्यप्रदेश में केंद्र की हर योजना भ्रष्टाचार के दलदल में फंस चुकी है। यह भ्रष्टाचार न केवल जनता के विश्वास को ठेस पहुंचा रहा है, बल्कि गरीबों, किसानों और ग्रामीणों के हक को छीन रहा है।

     भ्रष्टाचार का काला सचः 

     1. जल जीवन मिशनः 

     जिलों में गड़बड़ीः रीवा, मऊगंज, झाबुआ, छतरपुर, भोपाल, सतना, सीधी, पन्ना, सिंगरौली, भिंड, और बुंदेलखंड क्षेत्र (छतरपुर, पन्ना, दमोह)।  भष्टाचार का तरीकाः रीवा में फोटोकॉपी और टाइपिंग के नाम पर ₹25 लाख की फर्जी बिलिंग। ठेकेदारों और अधिकारियों ने फर्जी फर्मों (जैसे सुनील कम्प्युटर, हरिओम फोटोकापी) के जरिए फंड हड़पे। झाबुआ में 100% नल कनेक्शन का दावा, लेकिन 40% घरों में पानी नहीं। घटिया सामग्री से पाइपलाइन और टंकियां बेकार। ₹31,000करोड़ खर्च, फिर भी अधूरे प्रोजेक्ट्स
     
     घोटाले की राशिः रीवा में ₹300 करोड़, राज्य में अनुमानित ₹21,000 करोड तक। 

     2. स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण): 

     जिलों में गड़बड़ीः बैतूल, रीवा, मंडला, डिंडोरी। 

     भ्रष्टाचार का तरीकाः बैतूल में डिजिटल सिग्नेचर के दुरुपयोग से ₹13.21 करोड़ का अनधिकृत भुगतान। कागजों पर शौचालय बने, जमीनी हकीकत शून्य। फर्जी ऑडिट से फंड का गबन । 

     घोटाले की राशिः बैतूल में ₹13.21 करोड़राज्य में अनुमानित ₹21,000करोड़ तक।

    3. प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY): 
     
     जिलों में गड़बड़ीः ग्वालियर, सागर , छिंदवाड़ा, मुरैना, भोपाल, इंदौर। 

     भ्रष्टाचार का तरीकाः अपात्र व्यक्तियों को मकान, रिश्वतखोरी, और फंड का गबन अधूरे मकानों को कागजों पर पूरा दिखाया ।

     घोटाले की राशिः लाखों रुपये का गबन ।

    4. आयुष्मान भारत योजनाः

    जिलों में गड़बड़ीः भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, सतना।

    भ्रष्टाचार का तरीकाः निजी अस्पतालों में फर्जी बिलिंग, अनावश्यक सर्जरी, और कार्डके लिए रिश्वत। अपात्र व्यक्तियों को कार्ड।और कार्ड के लिए रिश्वत ।

    घोटाले की राशिः करोड़ों रुपये की फर्जी बिलिंग।

    5. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGA):

    जिलों में गड़बड़ीः शिवपुरी, श्योपुर, बैतूल, मंडला।

    भ्रष्टाचार का तरीकाः फर्जी जॉब कार्ड, बिना काम के मजदूरी भुगतान, और सामग्री का गबन ।

    घोटाले की राशिः ₹300 करोड़।

    6. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN):

    जिलों में गड़बड़ीः रीवा, सतना, शिवपुरी।
    भ्रष्टाचार का तरीकाः अपात्र व्यक्तियों को भुगतान, फर्जी दस्तावेज, और रिश्वत ।
    घोटाले की राशिः लाखों रुपये का गबन।

    7. मुद्रा योजना (PMMY):
     
     जिलों में गड़बड़ीः भोपाल, इंदौर, ग्वालियर
     
     भ्रष्टाचार का तरीकाः ऋण स्वीकृति में रिश्वत, फर्जी आवेदन, और कमीशनखोरी।*

     घोटाले की राशिः लाखों रुपये का गबन। 

     8. प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY): 

     जिलों में गड़बड़ीः मुरैना, भिंड, शिवपुरी। 

     भ्रष्टाचार का तरीकाः घटिया सामग्री, फर्जी बिलिंग, और अनावश्यक 

     प्रोजेक्ट्स । 

     घोटाले की राशिः करोड़ों रुपये का गबन ।

     9. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (NFSM): 
     
     जिलों में गड़बड़ीः सागर, दमोह, रीवा। 

     भ्रष्टाचार का तरीकाः सब्सिडी में रिश्वत, बीज-उर्वरक की कालाबाजारी, और अपात्र लाभार्थी। 

     घोटाले की राशिः लाखों रुपये का गबन।

     10. बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओः 

     जिलों में गड़बड़ीः मुरैना, भोपाल।

     भ्रष्टाचार का तरीकाः फर्जी जागरूकता कार्यक्रम, रिश्वत, और स्कूल सुविधाओं के फंड का गबन । 

     घोटाले की राशिः लाखों रुपये का गबन। 

    11. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY):

    जिलों में गड़बड़ीः रीवा, सतना, छतरपुर।

    भ्रष्टाचार का तरीकाः फर्जी दावे, प्रीमियम का गबन, और रिश्वत ।

    घोटाले की राशिः करोड़ों रुपये का गबन ।

    हकीकत और मुख्यमंत्री की बेशर्मीः

    जब ग्रामीण महिलाएं पानी के लिए मीलों पैदल चल रही हैं, गरीब बेघर हैं, और किसान कर्ज के बोझ तले दब रहे हैं, तब ठेकेदारों, अधिकारियों, और बिचौलियों की जेबें भर रही हैं। जल जीवन मिशन में ₹21,000 करोड़ तक का अनुमानित घोटाला और स्वच्छ भारत मिशन में ₹13.21 करोड़ का खुलासा इस भ्रष्ट तंत्र की पोल खोलता है। फिर भी, मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बेशर्मी से मोदी सरकार के 11 साल की उपलब्धियों का ढोल पीटा, जबकि मध्यप्रदेश में केंद्र की हर योजना भ्रष्टाचार के दलदल में डूब चुकी है। यह न केवल जनता के साथ विश्वासघात है, बल्कि गरीबों और जरूरतमंदों के हक पर डाका है।

    हमारी मांगः

    मध्यप्रदेश में इन योजनाओं में हुए भ्रष्टाचार की तत्काल उच्चस्तरीय जांच हो।

    फर्जी बिलिंग, कागजी प्रगति, और गबन करने वालों पर कड़ी कार्रवाई हो।

    जनता के हक का पैसा वापस लौटाया जाए और योजनाओं का लाभ पात्र लोगों तक पहुंचे।

    भ्रष्टाचार रोकने के लिए पारदर्शी ऑडिट और डिजिटल ट्रैकिंग लागू हो।

    यह भ्रष्टाचार नहीं, जनता के साथ खुला अन्याय है। मुख्यमंत्री की बेशर्मी और भ्रष्ट तंत्र को बेनकाब करने का समय आ गया है!

    मोदी सरकार के 11 सालों में हर योजना में भारी घोटाले सामने आए हैं। गरीब, किसान, महिला, मजदूर – सबके नाम पर पैसा बंटा, लेकिन जेब में पहुंचा सिर्फ भ्रष्ट तंत्र के। इसलिए जीतू पटवारी ने सवाल करते हुए कहा कि – मोदी जी, 11 साल में एक भी योजना ईमानदारी से क्यों नहीं चली? क्या आप जवाब देंगे?

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