फ्लावर नहीं फायर हैं इस तालाब की मछलियां, नागों की जानी दुश्मन, सुख-शांति की वाहक

उत्तराखंड की पावन धरती ऋषिकेश में ऐसे कई रहस्यमयी और चमत्कारी स्थल हैं, जो आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर हैं. गरुणचट्टी स्थित गरुण भगवान का मंदिर, इन्हीं में से एक है. ये जगह श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना चुकी है. इस मंदिर में बना एक प्राचीन तालाब न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है, बल्कि इसके जल को गरुण गंगा का पवित्र जल माना जाता है, जो कई रोगों और ग्रहदोषों से मुक्ति दिलाने की क्षमता रखता है. यह तालाब कालसर्प दोष से पीड़ित लोगों के लिए एक दिव्य समाधान है.
गरुण गंगा का पानी

कि गरुणचट्टी का यह मंदिर ऋषिकेश से लगभग 6 किलोमीटर की दूरी पर बद्रीनाथ मार्ग पर पड़ता है. गरुण जी, भगवान विष्णु के वाहन माने जाते हैं और उन्हें आध्यात्मिक शक्ति, साहस व रक्षा का प्रतीक माना जाता है. मान्यता है कि इस स्थल पर गरुण जी ने घोर तपस्या की थी और भगवान विष्णु से दिव्य वरदान प्राप्त किए थे. मंदिर प्रांगण में स्थित यह तालाब देखने में तो सामान्य प्रतीत होता है, लेकिन इसकी धार्मिक महत्ता अत्यंत गहन है. लोक मान्यता के अनुसार, इस तालाब का जल सीधे गरुण गंगा से आता है, जो एक अलौकिक जल स्रोत है. यह जल बेहद शीतल, निर्मल और औषधीय गुणों से युक्त होता है. स्थानीय श्रद्धालु मानते हैं कि इसमें स्नान करने अथवा इससे शरीर को स्पर्श कराने मात्र से कई चर्म रोग, मानसिक क्लेश और नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है.

विघ्न-बाधा का कारण
भारतीय ज्योतिष में कालसर्प दोष एक गंभीर ग्रहदोष माना गया है, जो व्यक्ति के जीवन में बाधाओं, विघ्नों और मानसिक अशांति का कारण बनता है. गरुण जी नागों के शत्रु माने जाते हैं. इसी कारण उनके मंदिर में पूजा और उपाय करने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है. इस मंदिर में लोग तालाब में मौजूद रंग-बिरंगी मछलियों को पेड़ा या आटे की गोली खिलाते हैं. माना जाता है कि ऐसा करने से दोष की शांति होती है और जीवन में सुख-शांति आती है. यम कार्य जीवदया (प्राणियों को अन्न दान) का प्रतीक भी है, जिससे पुण्य की प्राप्ति होती है. यहां हर साल देशभर से हजारों श्रद्धालु आते हैं, विशेषकर वे लोग जो लंबे समय से शनि, राहु, केतु या नागदोष से पीड़ित हैं.

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