विजय यादव/अलवर. अरावली पर्वतमालाओं के बीच 1213 वर्ग किलोमीटर में फैले सरिस्का टाइगर रिजर्व का हार्ड क्लाइमेट ही बाघों को लंबा जीवन दे रहा है। सरिस्का में सर्दियों में तापमान 1 डिग्री तक गिर जाता है तो गर्मियों में 48 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि कठिन परिस्थितियां ही जंगली जानवरों को जीने की कला सिखा रहे हैं। जंगल की भौगोलिक स्थिति एवं भोजन, पानी की बेहतर उपलब्धता भी बाघों को लंबी आयु में सहायक है। वर्ष 2005 में बाघ विहिन हुआ सरिस्का रणथंभौर से बाघों की शिफिटिंग के बाद अब खूब फल—फूल रहा है। मौजूदा समय में सरिस्का में 40 बाघ—बाघिन व शावक है।
सरिस्का में बाघों की लंबी उम्र का राज यहां का प्राकृतिक आवास है। सामान्यत: जंगल में बाघों की औसत आयु 12—13 साल मानी जाती है, लेकिन यहां कई बाघों ने 18- 19 साल का जीवन जीया है। सरिस्का में प्राकृतिक मौत वाले बाघों की उम्र औसतन 18 साल रही। हालांकि कुछ बाघों की असमय भी मौत हुई, लेकिन उसके पीछे कारण बीमारी, आपसी संघर्ष व स्थानीय लोगों द्वारा शिकार करना रहा। वर्ष 2005 में बाघ विहिन होने के बाद सरिस्का टाइगर रिजर्व एक बार फिर बाघों से आबाद हुआ और अब इनकी संख्या 40 तक पहुंच गई है। इस दौरान सरिस्का में मरे बाघों में करीब आधे की प्राकृतिक मौत हुई, इनमें से ज्यादातर 18 से 19 साल तक जीवित रहे। इस लिहाज से सरिस्का बाघों को लंबा जीवन देने के लिए बेहतर साबित हुआ है।
बाघों को इसलिए मिलता है लंबा जीवन
वन्यजीव विशेषज्ञों ने सरिस्का में बाघों को लंबा जीवन मिल पाने का कारण यहां की भौगोलिक परिस्थिति एवं प्राकृतिक आवास माना हैं। सरिस्का के पूर्व क्षेत्र निदेशक सुनयन शर्मा का कहना कि सरिस्का का हार्ड क्लाइमेट है। सर्दियों में जंगल में तापमान 1 डिग्री और गर्मियों में 48 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। ऐसी विषम परिस्थितियों में रहने वाले जीवों की प्रतिरोधक क्षमता भी उसी हिसाब से बढ जाती है। दूसरे अभयारणय में तापमान में इतना उतार—चढाव नहीं होता। दूसरा कारण सरिस्का में बाघों के लिए प्रचुर मात्रा में भोजव व पानी उपलब्ध होना है। टेरीटरी बनाने के लिए उसके पास पर्याप्त स्थान है। विचरण के लिए खुला जंगल है। ये सभी कारण बाघों को लंबी आयु देने वाले हैं।
सबसे लंबा जीवन जीया बाघिन एसटी-2 ने
सरिस्का में सबसे लंबे समय तक बाघिन एसटी-2 जीवित रही। यह बाघिन करीब साढ़े 19 साल जीवित रही। अंतिम समय में इस बाघिन की पूंछ पर घाव हो गया था, जिसका कई बार इलाज कराया गया, हालांकि लंबी आयु के चलते बाघिन एसटी-2 ने मंगलवार को सरिस्का में आखिरी सांस ली। इसके अलावा बाघिन एसटी-3, बाघ एसटी- 6 की करीब 18 साल की उम्र में मौत हुई।
सरिस्का में 7 बाघों की मौत, दो लापता
वर्ष 2005 के बाद सरिस्का में अब तक 7 बाघों की मौत हुई है, वहीं दो अभी लापता हैं। मृत बाघों में बाघ एसटी-1 की जहर देने, बाघिन एसटी-2 व 3 की प्राकृतिक मौत, बाघ एसटी- 4 व 6 की बीमारी में मौत, बाघिन एसटी-5 व बाघ एसटी-13 लापता तथा बाघ एसटी-11 की खेत में लगे फंदे में फसने तथा बाघ एसटी- 16 की हीट स्ट्रोक से मौत हुई। सरिस्का में यदि वनकर्मियों की नफरी पूरी रहती तो बाघ एसटी-1, बाघिन एसटी- 5, बाघ एसटी-11 एवं 13 को बचाया जा सकता था।