अलवर. लोकसभा चुनाव के परिणाम में इस बार भी भाजपा ने जीत दर्ज करा अलवर लोकसभा क्षेत्र में जीत की हैटिक तो बनाई, लेकिन वह अपना पिछला वोटों का प्रदर्शन दोहराने में विफल रही। इस बार भाजपा 48 हजार 282 वोटों से जीत पाई, वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी महंत बालकनाथ करीब 3.29 लाख वोटों से जीते थे। यानी पांच साल के दौरान जिले में भाजपा को मिले वोटों में 2.81 लाख की कमी आ गई। भाजपा की जीत का अंतर कम होने में इस बार अलवर जिले में करीब 7 प्रतिशत मतदान कम होने के साथ ही कई अन्य कारण भी रहे हैं।
अलवर जिले को भूपेन्द्र यादव नए सांसद मिल गए, लेकिन उनकी कम वोटों से जीत भाजपा की चिंता बढा गई। इस बार भाजपा की जीत का आंकडा सिमट कर 48 हजार 282 तक ही रह गया। जबकि पूर्व में 2019 में भाजपा को 3 लाख 29 हजार 971 मतों की बडी जीत मिली थी। इन पांच साल के दौरान भाजपा की जीत का अंतर 2 लाख 81 हजार 689 वोटों का कम हो गया।
अलवर लोकसभा क्षेत्र में भाजपा का वोट कम और कांग्रेस का बढा
पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना में इस बार भाजपा के वोटों में 8.99 प्रतिशत की बडी गिरावट आई है, वहीं कांग्रेस को 13.2 प्रतिशत 2019 के लोकसभा चुनाव की तुलना में ज्यादा मिले हैं। भाजपा के वोटों में कमी और कांग्रेस का मत प्रतिशत बढना ही भाजपा की जीत का दायरा सिमटने का बडा कारण रहा है। वर्ष 2024 में भाजपा प्रत्याशी भूपेन्द्र यादव को 6 लाख 31 हजार 992 वोट मिले, जबकि कांग्रेस को 5 लाख 83 हजार 710 वोट मिले। वहीं 2019 में भाजपा को 7 लाख 60 हजार 201 मत मिले थे, जबकि कांग्रेस को 4 लाख 30 हजार 230 वोट मिले थे।
पिछली बार भाजपा को मिले थे 60.06 फीसदी वोट, इस बार रह गए 51.07 ही
अलवर लोकसभा क्षेत्र में पिछली बार भाजपा को 60.06 प्रतिशत वोट मिले थे, जो 2024 में घटकर 51.07 ही रह गया। यानी भाजपा के वोटों में 8.99 फीसदी की बडी गिरावट दर्ज की गई। हालांकि कांग्रेस इस लोकसभा चुनाव में जीत तो दर्ज नहीं करा सकी, लेकिन यह लोकसभा चुनाव उसके लिए फायदे का सौदा रहा। इसका कारण है कि कांग्रेस को इस बार अलवर लोकसभा क्षेत्र में 47.19 प्रतिशत वोट मिले, जो कि 2019 के चुनाव से 13.2 फीसदी ज्यादा हैं वोट हासिल करने में इस बार बसपा भी पीछे रही और उसके प्रत्याशी फजल हुसैन को मात्र 19282 वोट ही मिल सके, जबकि 2019 के चुनाव में बसपा को 56 हजार 649 वोट मिले थे। बसपा को उस समय 4.48 प्रतिशत यानी 56 हजार 649 वोट मिले थे। वहीं 2024 में बसपा को 1.55 प्रतिशत के साथ मात्र 19287 वोट ही मिल पाए।
कहां गुम हो गए भाजपा के वोट
वर्ष 2019 से 2024 के दौरान भाजपा 8.99 के वोट कम हो गए। राजनीतिक क्षेत्रों में चर्चा है कि पांच साल में भाजपा के 8.99 प्रतिशत वोट कहां गुम हो गए। इनमें करीब 7 प्रतिशत की इस बार मतदान में गिरावट के साथ ही बसपा का 2.93 प्रतिशत वोट कम होना भी चर्चा का कारण रहा है। बसपा का कम हुआ वोट आखिर कहां गया, यह चर्चा का विषय है. संभव है कि बसपा का कम हुआ वोट कांग्रेस के बढे वोट में शिफट हुआ हो। साथ ही इस बार दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों की ओर से एक ही वर्ग के प्रत्याशी उतारने के कारण भी यादव वोट बैंक में बंटवारा होना भाजपा के वोटों में सेंध लगने का कारण माना जा रहा है।
किधर गया आरक्षित वर्ग का वोट
इस बार लोकसभा चुनाव में आरक्षण का मुददा दोनों ही प्रमुख दलों के चुनाव प्रचार में छाया रहा। इस कारण आरक्षित वोट बैंक पर सभी दलों की नजर टिकी थी। अलवर लोकसभा क्षेत्र में आरक्षित वोट बैंक बडा है। इसमें एससी, एसटी, ओबीसी वर्ग शामिल है। कांग्रेस का वोट बढने में इस बार आरक्षित वर्ग का उनकी ओर झुकाव भी बडा कारण माना जा रहा है। वहीं भाजपा के परम्परागत वोटों में कमी भी उसके वोट प्रतिशत को झटका देने वाली मानी जा रही है।