निरस्त किए गए 202 उप निबंधक-निबंधन लिपिकों के तबादले

 88 उप निबंधकों और 114 निबंधन लिपिकों के तबादला आदेश अब निरस्त कर दिए गए हैं। स्टांप एवं पंजीयन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रवीन्द्र जायसवाल द्वारा 18 जून को स्थानांतरण में भ्रष्टाचार की लिखित शिकायत पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी तबादला आदेश तत्काल स्थगित करने के निर्देश दिए थे। 

इसके साथ ही महानिरीक्षक (आईजी) निबंधन के पद से समीर वर्मा को हटाकर पूरे मामले की जांच कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के लिए भी कहा गया था। 

प्रमुख सचिव स्टांप एवं निबंधन अमित गुप्ता की ओर से सोमवार को जारी आदेश के मुताबिक 13 जून को 59 कार्यरत तथा 29 नव प्रोन्नत उप निबंधकों और 14 जून को 114 कनिष्ठ सहायक निबंधन के जारी सभी तबादला आदेश तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिए गए हैं। 

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर 18 जून को संबंधित स्थानांतरण व तैनाती आदेशों को अगले आदेश तक स्थगित कर दिया गया था। विचार-विमर्श के दौरान शिकायतों के प्रथम दृष्टया गंभीर पाए जाने पर सोमवार को सभी तबादला आदेशों को निरस्त कर दिया गया। 

विदित हो कि मुख्यमंत्री से की गई शिकायत में मंत्री ने तत्कालीन आईजी समीर पर तबादलों में लाखों रुपये के लेनदेन करने और स्थानांतरण नीति का उल्लंघन कर दागी अधिकारियों को मनचाही तैनाती देने का आरोप लगाया था। 

उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा था कि आईजी स्टांप के विरुद्ध भ्रष्टाचार की काफी शिकायतें उन्हें मिली हैं। इनमें राजस्व की दृष्टि से महत्वपूर्ण तैनाती स्थलों पर दागदार अधिकारियों की तैनाती के बदले लाखों-लाख रुपये के लेनदेन की शिकायतें के साथ ही महत्वपूर्ण कार्यालयों में प्रभारी उप निबंधक व प्रोन्नत उप निबंधक की तैनाती भी निर्देशों के विपरीत करने की शिकायतें थीं। 

मंत्री ने पूरे मामले की एसटीएफ से जांच कराने की मांग भी मुख्यमंत्री से की थी। सूत्रों के अनुसार तत्कालीन आईजी के करीबी बताए जाने वालों ने अच्छी पोस्टिंग दिलाने के नाम पर लाखों रुपये मांगे। आजमगढ़, सीतापुर जिले सहित कुछ खास उप निबंधक कार्यालयों के उप निबंधक बनाए जाने के लिए तो एक करोड़ रुपये तक मांगे गए। 

तबादलों में लाखों रुपये के लेनदेन की रिकॉर्डिंग सहित मंत्री से शिकायतें की गईं हैं। अब ऐसे सभी मामलों की जांच कराए जाने की तैयारी है। 

मंत्री रवीन्द्र ने बताया कि मुख्यमंत्री से बात कर विभागीय हित में जल्द ही आगे की कार्यवाही की जाएगी। मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच कराए जाने के साथ ही मुख्यमंत्री की सहमति से आवश्यकतानुसार नए सिरे से तबादले किए जाएंगे।

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