जयपुर : स्मार्ट मीटर पर बढ़ते जन विरोध के चलते सरकार की बिजली कंपनी डिस्कॉम अब बैकफुट पर आ गई है। प्रदेश में पारंपरिक मीटरों को स्मार्ट मीटर से बदलने की योजना का जबरदस्त विरोध सामने आया। इसे लेकर कई जगहों पर बिजली कंपनी के कर्मचारियों और स्थानीय लोगों के बीच जबरदस्त झड़पें भी देखने को मिली। कांग्रेस ने इसे मुद्दा बना लिया। एक सितंबर से प्रदेश में विधानसभा का मानसून सत्र भी शुरू होने जा रहा है। ऐसे में विरोध को ठंडा करने के लिए डिस्कॉम की तरफ ने स्मार्ट मीटर इंस्टालेशन की अनिवार्यता को खत्म कर दिया है। डिस्कॉम चेयरमैन आरती डोगरा ने इस संबंध में संशोधित आदेश जारी किए हैं जिसके अनुसार AMISP (Advanced Metering Infrastructure Service Provider) केवल उन्हीं फीडरों पर नए कनेक्शन के लिए स्मार्ट मीटर लगाएगा जहाँ स्मार्ट मीटर स्थापना प्रगति में है या पूर्ण हो चुकी है। शेष क्षेत्रों में संबंधित डिस्कॉम पारंपरिक (नॉन-स्मार्ट) मीटरों का उपयोग कर स्थापना करेगा। जबकि संशोधित आदेशों से पहले के प्रावधानों के अनुसार- सभी एसडीओ में AMISP द्वारा नए कनेक्शन केवल स्मार्ट मीटर के साथ ही जारी किए जाने की बात कही गई थी।
क्या है स्मार्ट मीटर
स्मार्ट मीटर एक डिजिटल उपकरण है जो बिजली की खपत को रियल टाइम में रिकॉर्ड करता है। यह जानकारी स्वतः ही डिस्कॉम के सर्वर पर भेजता है। इसमें रिचार्ज आधारित भुगतान और उपभोक्ता को मोबाइल पर खपत की जानकारी मिलने जैसी सुविधाएं होती हैं।
विपक्ष का आरोप: निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने की साजिश
कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि स्मार्ट मीटर परियोजना को कुछ चुनींदा निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए लागू किया गया था। विपक्ष का दावा है कि इन मीटरों के चलते आम उपभोक्ताओं पर अनावश्यक बिजली बिलों का बोझ बढ़ा है। गहलोत सरकार में मंत्री रहे कांग्रेसी विधायक अशोक चांदना ने हाल में अपनी विधानसभा में बिजली विभाग के अधिकारियों को स्मार्ट मीटर नहीं लगाने की चेतावनी दी थी। उन्होंने एक सार्वजनिक सभा को संबोधित करते हुए कहा था कि स्मार्ट मीटर लगाने आए तो उसे गांव में घुसने नहीं दें। कोई पुलिस कार्रवाई होगी तो मैं आपके साथ थाने चलूंगा।
जनता का गुस्सा: बिल ज्यादा, मीटर गलत
ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों से मिल रही शिकायतों में उपभोक्ताओं ने बताया कि स्मार्ट मीटर लगाने के बाद से उनके बिजली बिल दोगुने से तीन गुना तक बढ़ गए हैं, जबकि खपत में कोई खास अंतर नहीं आया है। कई जगह लोगों ने स्मार्ट मीटरों को हटाने की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन भी किए।