किशनगढ़ बास में 30 मिनट की बारिश ने खोली नगरपालिका की पोल, 25 लाख की नाला सफाई पर उठे सवाल

Shopkeepers are cleaning themselves, councilor asked - what is the fear behind spending from their own pocket
Shopkeepers are cleaning themselves, councilor asked - what is the fear behind spending from their own pocket

दुकानदार खुद करा रहे सफाई, पार्षद ने पूछा – किस डर से खर्च कर रहे अपनी जेब से?

किशनगढ़ बास,। नगरपालिका किशनगढ़ बास की नालों की सफाई व्यवस्था पर महज 30 मिनट की बारिश ने सवालों का सैलाब ला दिया। सोमवार शाम करीब 5 बजे हुई तेज़ बारिश ने गंज रोड, मुख्य बाजार और अनाज मंडी सहित कई क्षेत्रों को जलमग्न कर दिया। जलभराव से राहगीरों और दुकानदारों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।

बारिश के कुछ ही देर बाद नगर की प्रमुख सड़कों पर घुटनों तक पानी जमा हो गया, जिससे न सिर्फ यातायात बाधित हुआ बल्कि दुकानों और मकानों में भी पानी घुसने की स्थिति बन गई। स्थानीय लोगों ने इसे नगर पालिका की घोर लापरवाही बताया।

प्रतिपक्ष नेता पार्षद उमेश यादव का बड़ा आरोप

नगरपालिका के प्रतिपक्ष नेता और पार्षद उमेश यादव ने नगर परिषद पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा,“25 लाख रुपये का टेंडर मानसून से पहले नालों की सफाई के लिए जारी किया गया था, लेकिन सफाई मानसून शुरू होने के बाद औपचारिकता के तौर पर की जा रही है।”उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि जब टेंडर जारी कर सफाई का कार्य होना था, तो दुकानदारों को अपनी जेब से 2-3 हजार रुपये देकर नालों की सफाई क्यों करानी पड़ रही है?

“क्या कोई भय है जो व्यापारियों को मजबूर कर रहा है खुद की जेब से खर्च करने को?”

बाढ़ जैसे हालात का खतरा

बारिश बंद होने के डेढ़ घंटे बाद तक गंज रोड और मुख्य बाजार में पानी जमा रहा। शहर के निकासी तंत्र की खस्ताहालत को देखकर स्थानीय लोगों ने आशंका जताई कि यदि समय रहते समाधान नहीं किया गया तो आगे चलकर बाढ़ जैसे हालात बन सकते हैं।

जनता का सवाल – जवाबदेही किसकी?

जनता पूछ रही है कि जब नालों की सफाई के लिए लाखों रुपये स्वीकृत किए गए, तो उसका भौतिक लाभ ज़मीन पर क्यों नहीं दिख रहा?
नगरपालिका की निष्क्रियता पर उंगली उठाते हुए नागरिकों ने तुरंत जांच और कार्यवाही की मांग की है।

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